राजनांदगांव

भगवान भी बंधे हैं कर्मों व प्रकृृति के नियमों से-गोस्वामी
28-Dec-2021 5:43 PM
भगवान भी बंधे हैं कर्मों व प्रकृृति के नियमों से-गोस्वामी

अंबागढ़ चौकी, 28 दिसंबर। श्रीमद्् देवी भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन कथास्थल में देवी भागवत कथा का श्रवण करने धर्मप्रेमियों की भीड़ उमड़ी रही। श्रीमद़ देवी भागवत महापुराण के तृतीय दिवस कथावाचक पं. विनोद बिहारी गोस्वामी ने कहा कि ईश्वर को भी कर्मानुसार प्रकृति का नियम पालन करने हेतु प्रतिबद्ध रहना पड़ता है। इस संसार में हर व्यक्ति को कर्मानुसार प्रकृति व प्रारब्धनुसार अपने-अपने कर्मों को भोगना पड़ता है। भगवान भी इन नियमों से बंधे हुए हंै।

कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक जारी है। कथा के तीसरे दिवस पंडित विनोद बिहारी गोस्वामी ने बताया कि भृगु मुनि के श्राप से भगवान विष्णु को मानव योनि में निरंतर जन्म लेना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु ने न केवल श्राप को ग्रहण किया, बल्कि कर्मानुसार कई योनियों में मानव रूप में जनम लेकर दुखों व कष्टों को सहना पड़ रहा है।

कथावाचक भागवताचार्य श्री गोस्वामी ने कहा कि जीवन में मिलने वाले सुख और दुख हमारे कर्मों के अनुसार प्राप्त होते है। हमें सत्य के मार्ग में चलना ही चाहिए। यह मार्ग हमें मुक्ति की ओर ले जाता है।

कथावाचक पं. गोस्वामी ने देवासुर संग्राम का कथा सुनाते बताया कि मां जगतजननी की स्तुति व प्रार्थना से ही मां भगवती की कृपा से ही देवताओं को विजय प्राप्त हुई और दैत्यों को पाताल लोक गमन करना पड़ा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को कभी भी अपने धन व ऐश्वर्य का अहंकार नहीं करना चाहिए, जब देवताओं का अहंकार नहीं रहा तो फिर इस कलयुग में हम मानव का अहंकार कहां तक टिक पाएगा। इंसान को मां भगवती की भक्ति व अराधना करते अपना जीवन भक्ति भाव से व्यतीत करना चाहिए।

भागवताचार्य गोस्वामी ने बताया कि व्यक्ति को माता-पिता, गुरू, संत, ऋषि महात्मा एवं विद्वानों का ही नहीं, बल्कि सभी लोगों का सम्मान करना चाहिए।  यदि हम किसी का सम्मान नहीं कर सकते तो फिर उनका अपमान भी नहीं करना चाहिए। कथावाचक ने माता देवकी के 6 पुत्रों की प्रसंग सुनाते बताया कि देवकी के इन 6 पुत्रों की हत्या उनके पूर्वजन्म के कर्मों के अनुसार तय था। भगवान ब्रम्हा व माता सरस्वती से उन्हें श्राप मिला था क्योंकि उन्होंने भगवान ब्रम्हा का अपमान किया था। भगवान ब्रम्हा ने उन्हें दैत्य कुल में जन्म लेने का श्राप दिया था, इसलिए उन्हें कालनेमी व हिरण्याकश्यप दैत्य के यहां जन्म लेना पड़ा। कथावाचक ने कहा कि व्यक्ति को हर किसी का सम्मान करना चाहिए। विशेषकर संत महात्मा व माता-पिता एवं गुरूओं का आदर करना चाहिए। उनका अपमान हमें घोर पाप की गर्त की ओर ले जा सकता है।

पं. गोस्वामी ने कहा कि  इंसान को मोह, माया के बंधनों से बचना चाहिए। व्यक्ति को कभी भी अपने धन संपदा, वैभव, ऐश्वर्य और बल पर अहंकार करते अपनी शक्तियों का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जब देवताओं को अपने अहंकार के लिए दुख सहना पड़ता है तो कलयुग में मानव इससे कैसे बच सकता है। श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिवस कथास्थल में भागवत प्रेमी माता, बहनें बड़ी संख्या में शामिल हुई।

भजन-कीर्तन से होगा नववर्ष स्वागत
नववर्ष का स्वागत भजन-कीर्तन व भगवत भक्ति से किया जाएगा। आयोजन समिति के प्रमुख नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अनिल मानिकपुरी ने बताया कि इस वर्ष भी 2021 की बिदाई व नए साल का स्वागत के लिए पिछले वर्ष की तरह साल के आखिरी दिन 31 दिसंबर को रात्रि 8 से 12 बजे तक श्रीमद देवी भागवत कथा स्थल में विशेष भजन, पूजन, कीर्तन व गीत-संगीत का आयोजन किया गया। इस आयोजन में स्थानीय व वनांचल की प्रतिभाएं नि:शुल्क आयोजन में भाग लेकर अपनी कला व प्रतिभा को प्रस्तुत कर सकती है। आयोजन समिति ने नगर व क्षेत्रवासियों तथा विशेषकर धर्मप्रमियों से कार्यक्रम में उपस्थिति की अपील की।

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