राजनांदगांव

भगवताचार्य ने पतिव्रत और आदर्श नारी की बताई महिमा
03-Jan-2022 11:14 AM
भगवताचार्य ने पतिव्रत और आदर्श नारी की बताई महिमा

अंबागढ़ चौकी, 2 जनवरी।       श्रीमद् देवी भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के आठवें दिन व्यासपीठ से पं. विनोद बिहारी गोस्वमाी ने बताया कि ईश्वर भक्ति, सेवा, श्रद्धा व प्रेम से प्रसन्न होते हैं। उन्होंने बताया कि  भगवान भाव व प्रेम के भूखे होते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए और किसी चीज की आवश्यकता नहीं होती।

श्री गोस्वामी ने पतिव्रत नारी की महिमा का बखान करते देवी सावित्री और सत्यवान की कथा सुनाई। कथावाचक ने देवमाता अदिति, मां सीता, माता तुलसी, मां तारा, देवी अहिल्या, देवी सत्यभामा, देवी द्रोपती की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि पतिव्रता नारी व सदगुण शालिनी नारी के यहां भी भगवान जन्म लेते हैं। कथावाचक गोस्वमाी ने बताया कि एक धर्मपरायण पतिव्रत नारी के सामने यमराज व भगवान को भी झुकना पड़ता है।

भागवताचार्य गोस्वमाी ने पतिव्रत नारी की महिमा का बखाने करते बताया कि एक स्त्री को अपने पति को प्रसन्न करने किसी जादूटोना या वशीभूत मंत्र तथा अन्य कोई साधनों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। पति को सेवा, भक्ति व समर्पण के भाव से ही खुश किया जा सकता है। अन्य साधन एक नारी को विनाश् की ओर ले जाता है। उन्होंने बताया कि एक स्त्री को अपने पति के सामने कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए और अपने पति के परिजनों व सास-ससुर का आदर करना चाहिए तथा पति व परिवार वालों के भोजन के बाद भोजन तथा सोने के बाद शयन करना चाहिए तथा उनके जागने से पहले जग जाना चाहिए। और पति की ईच्छा के विरूद्ध कोई कार्य नहीं करना चाहिए।
कथावाचक ने बताया कि यदि पति अभागा, वृद्ध, रोगी, मूर्ख व निर्धन हो तो भी एक धर्मशील पतिव्रता नारी को अपने पति का आदर करना चाहिए। उसके साथ संपूर्ण भक्तिभाव से जीवन व्यतीत करना चाहिए। ऐसेे सदकार्य से ईश्वर प्रसन्न होते हंै। कथावाचक ने सदगृहस्थ नारी व आदर्श नारी की महिमा का बखाने करते बताया कि एक आदर्श नारी में 5 पांच गुणों का होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि एक आदर्श नारी को पति की सेवा के समय दासी, दुख, कष्ट व संघर्ष के समय मित्र, शयन के समय रंभा, धर्म-कर्म के समय भगिनी व परामर्श देने के समय एक मंत्री के भाव से सेवा करनी चाहिए। यदि ऐसा सेवा भाव नारी  में है तो वह एक महान आदर्श नारी है।

भगवान भी आदर्श नारी के इन्हीं गुणों से प्रसन्न होकर उनके गर्भ से जन्म लेकर उनकी महत्ता को बढ़ाते हैं। श्रीहरी विष्णु ने देवमाता अदिति के यहां वामन अवतार, माता कौशल्या के यहां राम तथा माता देवकी के यहां श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया तथा देवी रोहिनी के यहां भगवान बलराम ने जन्म लिया। कथावाचक ने बताया कि एक नारी के लिए उसका पति ही परमेश्वर है। यदि नारी पति के लिए संपूर्ण श्रद्धा व समर्पण का भाव रखेगी तो उसका जीवन दिव्य होगा और आने वाली संतति सत्य मार्गी, भागवत मार्गी एवं तेजस्वी होगा।

 भक्ति नारी के असली आभूषण
भागवताचार्य गोस्वामी ने एक आदर्श व पतिव्रत नारी के गुणों की व्याख्या करते बताया कि नारी का असली आभूषण वाणी में माधुर्यता है। एक स्त्री में धैर्य, क्षमा, , भक्ति, संतोष, नम्रता एवं सेवा का भाव होना चाहिए। यही नारी का असली गहना है। एक स्त्री को निंदा, अहंकार, झुठ, चुगली, व्याभिचार , व्यर्थ की हंसी तथा रोगों के छिपाने से दूर रहना चाहिए। सुलक्षणा नारी सदा अपने घर तथा शरीर को स्वच्छ रखना, स्वच्छ भोजन बनाना, पूजा पाठ, गुरू और भगवान का ध्यान रखने तथा शुभ कार्यों में अपना जीवन बिताती है।

 आज से कुरखेडा में श्रीमद भागवत सप्ताह
पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिला के कुरखेडा विकासखंड के गौठन गांव में कल 3 से 9 जनवरी तक श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन किया गया है। गौठन में यह निरंतर श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ का तीसरा वर्ष है। कथावाचक भागवताचार्य पं. विनोद बिहारी गोस्वामी होंगे। आयोजक समिति गौठनवासियो ने भागवतप्रेमियो व धर्मप्रमियों से कथा का आनंद उठाने की अपील की है। ज्ञान यज्ञ का समापन 9 जनवरी को यज्ञ, अनुष्ठान, पूर्णाहुती व महाप्रसादी भंडारा से होगा। 

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