राजनांदगांव
![छुईखदान के 272 कुपोषित बच्चों के वजन में बढ़ोत्तरी छुईखदान के 272 कुपोषित बच्चों के वजन में बढ़ोत्तरी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1641905050jn__3.jpeg.jpg)
15 दिनों में की जा रही स्वास्थ्य जांच
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 11 जनवरी। जिले में सघन सुपोषण अभियान के प्रभावी परिणाम आ रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा मानपुर, मोहला एवं छुईखदान विकासखंड में कुपोषण दूर करने विशेष अभियान चलाया गया। यह केवल एक अभियान नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में सुपोषण के लिए जागृति की लहर है। इसके माध्यम से सुदूर वनांचल क्षेत्रों तक कुपोषण को दूर करने व्यापक तौर पर कार्य किए गए। इस मुहिम से सामुदायिक सहभागिता के साथ स्वयंसेवी संस्थाएं, यूनीसेफ, एम्स को जोडऩे से गति मिली। कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के मार्गदर्शन में इन चिन्हांकित विकासखंडों में कुपोषण को दूर करने लगातार कार्य किए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर बच्चों को टिफिन में नाश्ता एवं खाना पहुंचाया जा रहा है और केन्द्रों में भी अतिरिक्त पौष्टिक आहार दिया जा रहा है।
सघन सुपोषण के लिए की गई मेहनत रंग लाई और मानपुर में गंभीर कुपोषित बच्चों में से ज्यादातर सामान्य श्रेणी में आ गए। कलेक्टर के निर्देशानुसार बच्चों का प्रति 15 दिवस में स्वास्थ्य जांच की जा रही है। मानपुर में नवाचार करते बच्चों को रेडी-टू-ईट व्यंजन बनाकर खिलाया जा रहा है। छुईखदान एवं मोहला विकासखंड में इस दिशा में लगातार कार्य किए जा रहे हैं। गंभीर कुपोषित बच्चों एवं गर्भवती एनीमिक माताओं का चिन्हांकित कर उनके सुपोषण की दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है।
कलेक्टर के विशेष प्रयासों से इन क्षेत्रों में सुपोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। छुईखदान के 272 गंभीर कुपोषित बच्चों के वजन में बढ़ोतरी हुई। गंभीर से मध्यम में आए बच्चों की संख्या 126 एवं मध्यम से सामान्य में आए बच्चों की संख्या 22 है। जिले में 433 एनीमिक गर्भवती महिलाएं है। जिसमें 300 एनीमिक गर्भवती माता जिनका प्रसव हो चुका है तथा 172 एनीमिक गर्भवती माता की हिमोग्लोबिन में बढ़ोत्तरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं ग्राम पंचायत के माध्यम से सुपोषण के लिए जागरूक किया जा रहा है।
कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास रेणु प्रकाश ने बताया कि बच्चों को एवं एनीमिक माताओं को प्रतिदिन नाश्ता एवं भोजन दिया जा रहा है। जिसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। स्वयंसेवी संस्थाओं तथा सामुहिक सहभागिता से इस अभियान को गति मिली है। पौष्टिक भोजन में बच्चों एवं माताओं को चिक्की, अंडा, फल एवं पौष्टिक आहार दिया जा रहा है।