राजनांदगांव
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कलेक्टर को सौंपी रिपोर्ट में नायाब तहसीलदार, सिंचाई विभाग एसडीओ और माईनिंग इंस्पेक्टर ने की अवैध उत्खनन की पुष्टि
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 29 जनवरी। बांकल रेत खदान में आखिरकार अवैध उत्खनन की पुष्टि के बाद लीजधारी ठेकेदार पर कार्रवाइ की तलवार लटक रही है। निर्धारित सीमा से परे जाकर ठेकेदार ने शिवनाथ नदी की अवैध उत्खनन करने के लिए नियम-कायदों की परवाह नहीं की। पर्यावरण और प्रशासन की शर्तों का माखौल उड़ाते ठेकेदार ने मनमाने तरीके से रेत की निकासी की। वहीं नदी की धार को भी खनन के जरिये प्रभावित किया है। बांकल रेत खदान को लेकर कई दिनों से ठेकेदार के खिलाफ ग्रामीण और पर्यावरण विद विरोध कर रहे थे। कोरोनाकाल में ठेकेदार ने मनमाफिक अंदाज में शिवनाथ नदी की जमकर खुदाई कर दी। रेत निकालने के लिए ठेकेदार ने मशीन का जमकर उपयोग किया। नियमानुसार खुदाई के लिए मशीन के इस्तेमाल पर रोक लगी हुई है। लगातार खुदाई होने से नदी की दशा और दिशा दोनों बदल गई है। नदी में पानी रहने के दौरान खुदाई के लिए एक निश्चित सीमा का उपयोग होना था, लेकिन ठेकेदार ने अपनी जरूरतों के लिए काफी दूर तक रेत का ढेर लगाकर एक पुल का निर्माण कर दिया, जिससे शिवनाथ नदी की धार ठहर गई। ठेकेदार पर ग्रामीणों को धमकाने और रायल्टी पर्ची के आधार पर रकम जमा नहीं करने का भी आरोप है। करीब 30 साल के लिए राज्य सरकार से अर्चना दुष्यंत दास को खनन के लिए अधिकृत किया गया है, लेकिन उसके लिए कुछ नियम-शर्तें बनाए गए हैं। रेत का इस्तेमाल घरेलू उपयोग के लिए नहीं किया जा सकता, सिर्फ औद्योगिक इकाईयों को एक निश्चित मात्रा में रेत सप्लाई करने का अधिकार दिया गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक ठेकेदार ने जमकर शिवनाथ नदी से रेत निकाले। रेत निकालने के लिए कई तरह के हथकंडे भी अपनाए गए। मसलन मजदूरों के बजाय मशीनों का उपयोग कर कई मात्रा में रेत की निकासी की गई है। बांकल रेत खनन के मामले में प्रशासन ने एक जांच टीम का गठन किया था। जिसमें नायाब तहसीलदार, सिंचाई विभाग के एसडीओ और माईनिंग इंस्पेक्टर को जांच अधिकारी बनाया गया। संयुक्त जांच में यह साफ हो गया है कि ठेकेदार ने 17 हजार घनमीटर से अधिक रेत की खुदाई की है। खनिज विभाग ने खनन से जुड़े मामलों की जांच की। वहीं जल संसाधन के एसडीओ एसके जैन ने रिपोर्ट में नदी के बहाव को प्रभावित करने की रिपोर्ट का एक प्रतिवेदन भेजा है।
मिली जानकारी के मुताबिक प्रशासन ने पूरे मामले में फिलहाल अभी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की है। जांच टीम के रिपोर्ट के आधार पर यह तय है कि इस मामले में प्रशासन कड़ी कार्रवाई कर सकता है।
इस संबंध में खनिज विभाग अधिकारी राजेश माल्वे ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि रिपोर्ट जिलाधीश को सौंप दी गई है। रिपोर्ट में अवैध खनन की पुष्टि हुई है। उधर एसडीओ श्री जैन ने भी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि शिवनाथ नदी के प्रवाह को रोका गया है, जो कि नियम के विपरीत है। यहां यह बता दें कि ठेकेदार ने सपरिवार कुछ दिन पहले लीज से जुड़े दस्तावेजों के आधार पर खनन को सही ठहराया था। परिवार का दावा था कि उन्हें बदनाम करने के लिए बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं, लेकिन अब परिवार के इस दावे को जांच रिपोर्ट ने ही गलत ठहरा दिया है। प्रशासनिक अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद क कलेक्टर के अगले कदम पर सबकी निगाह है। पर्यावरण को जहां उत्खनन से क्षति पहुंची है। वहीं शिवनाथ नदी के स्वरूप को भी प्रभावित करने में ठेकेदार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
ठेकेदार को दी जाएगी नोटिस-कलेक्टर
शिवनाथ नदी में हुए अवैध उत्खनन के मामले में प्रशासनिक जांच के बाद मिली प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ठेकेदार को नोटिस जारी करने की तैयारी में है। कलेक्टर सिन्हा का कहना है कि ठेकेदार को नोटिस जारी किया जा रहा है। नोटिस का जवाब मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने कहा कि नियमानुसार कार्रवाई के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और नदियों के संरक्षण में किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। दोषी पाए जाने पर नियमत: ठोस कार्रवाई की जाएगी।