राजनांदगांव

किसान अन्नदाता तो राईस मिलर्स हैं चावलदाता-नवाज
31-Jan-2022 11:46 AM
किसान अन्नदाता तो राईस मिलर्स हैं चावलदाता-नवाज

   प्रदेश राईस मिलर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री का जताया आभार, सम्मान समारोह में जुटे राज्य के मिलर्स   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 31 जनवरी।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अध्यक्ष नवाज खान ने राईस मिलरों को चावलदाता की संज्ञा देते कहा कि किसान यदि अन्नदाता हैं तो मिलर्स चावलदाता हैं। किसान और राईस मिलर्स की संयुक्त मेहनत से लोगों को चावल मिलता है।

श्री खान ने कहा कि प्रदेश के राईस मिल मृतप्राय: की स्थिति में पहुंच गए थे, जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मिलिंग का दाम बढ़ाकर पुर्नजीवित किया है। प्रदेश के 1700 से अधिक राईस मिलर्स बरसों से मिलिंग का दाम बढ़ाने के प्रयास में थे। पूर्ववर्ती सरकार ने 15 साल के शासन में राईस मिलरों की तकलीफ को हमेशा अनसुना किया। राईस मिलर्स एसोसिएशन कई बार पूर्व सरकार के अफसरों के जरिये शासन तक आवाज पहुंचाने की कोशिश करती रही। अफसरों के राय को महत्व देने के कारण राईस मिल एसोसिएशन अपनी आर्थिक समस्या से उबर नहीं पाया। श्री खान ने कहा कि महज 3 साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राईस मिलरों की पीड़ा को समझते हुए उनकी बरसों पुरानी कस्टम मिलिंग का दर बढ़ाने की मांग को करीब तीन गुना कर दिया।

श्री खान ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हमेशा किसानों और राईस मिलर्स के दुख-दर्द को समझते रहे हैं। सरकार की कमान सम्हालने के बाद किसान आज खुशहाली में अपना जीवन जी रहा है। वहीं राईस मिल एसोसिएशन के महत्व को समझते हुए उनकी भी डेढ़ दशक पुरानी समस्या को दूर कर दिया।

श्री खान ने कहा कि मुख्यमंत्री का आकर्षण ऐसा है कि कोई भी उनकी काबिलियत से बगैर प्रभावित रह नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि किसानों का दर्द वह अच्छी तरह समझते हैं, क्योंकि वह भी एक किसान है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश को एक परिवार की तरह देखते हैं। एक मुखिया के तौर पर वह मजदूर, नौजवान, किसान, व्यापारी और अन्य वर्गों के हितों को केन्द्रित कर योजनाएं बना रहे हैं। कोरोनाकाल में छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में स्थिर रही। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर हमला बोलते कहा कि 2013 के विधानसभा चुनाव में किसानों को बोनस देने का वादा कर भाजपा सत्ता में आई थी,  लेकिन 5 साल तक किसानों को सरकार ने फूटी कौड़ी नहीं दी।  2018 में कांग्रेस के सत्तारूढ़ होने के बाद किसानों से किए गए वायदे पूरे करते मुख्यमंत्री बघेल ने कई क्रांतिकारी निर्णय लिए। इसी का प्रतिफल है कि आज  किसानों की आर्थिक संपन्नता से बाजार और व्यापारियों के चेहरे में रौनक है।

इससे पहले प्रदेश राईस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश रूंगटा ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बघेल ने कस्टम मिलिंग के दाम बढ़ाकर एक बड़ी सौगात राईस मिलरों को दी है। उनका यह निर्णय मिलरों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने विस्तारपूर्वक  एसोसिएशन की समस्या को सुनकर एक अच्छा फैसला लिया है, जिससे राईस मिलरों को आर्थिक संबलता मिली है।

एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर ने कहा कि सूबे के मुख्यमंत्री को वह काफी पसंद करते हैं, क्योंकि उनमें फैसला लेने की क्षमता है। बरसों पुरानी मांग को उन्होंने कुछ घंटों की बैठक में पूरा कर दिया, जिससे यह साबित होता है कि किसान और राईस मिलरों के लिए उनकी भावनाएं उदार है। समारोह को राजू रूंगटा ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों में आईएएस की नीतियों के आधार पर फैसला होता था। आज मुख्यमंत्री लोगों की भावनाओं के अनुरूप नीतियां बनाकर उसे अमलीजामा पहना रहे हैं। समारोह को प्रदेश महासचिव प्रमोद अग्रवाल, राजनांदगांव राईस मिल एसोसिएशन अध्यक्ष  आशीष खंडेलवाल समेत अन्य लोगों ने भी संबोधित किया।

कलेक्टर की कार्यप्रणाली की प्रशंसा
सम्मान समारोह में वक्ताओं ने राजनांदगांव कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के बंदोबस्त की जमकर तारीफ की। मंच में आसीन अतिथियों ने कहा कि खरीदी के दौरान कहीं भी सोसाइटियों में वाद-विवाद और प्रदर्शन की नौबत नहीं आई। कलेक्टर लगातार खरीदी पर नजर रखे हुए हैं। नतीजतन सोसाइटियों में द्र्रुतगति से खरीदी  प्रक्रिया चली। बिना बाधा के सोसाइटियों से उठाव भी हुआ। कलेक्टर की सक्रियता के चलते बेमौसम बारिश में भी उपज को कवर किया गया। आज इसी का नतीजा है कि राजनांदगांव में धान को खराब मौसम से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।

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