राजनांदगांव
![रेत की लीज निरस्त करने और ठेकेदार पर कार्रवाई की तैयारी में प्रशासन रेत की लीज निरस्त करने और ठेकेदार पर कार्रवाई की तैयारी में प्रशासन](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1643700040jn__7_File_Photos_(1).jpeg)
कलेक्टर ने बांकल रेत खदान के लीजधारी पर जांच रिपोर्ट के आधार पर कसा शिकंजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 1 फरवरी। शिवनाथ नदी के बांकल रेत खदान में हुए अवैध तरीके से उत्खनन के मामले को लेकर अफसरों की मिली रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने कड़ी कार्रवाई करने की प्रक्रिया के पहले चरण में लीजधारी के पट्टे को निरस्त करने की तैयारी शुरू कर दी है।
कलेक्टर ने रेत खनन के लिए निर्धारित शर्तों का मापदंड पूरा नहीं करने के लिए ठेकेदार पर लगे आरोपों को सही मानते हुए सरकार से लीज को खत्म करने की सिफारिश करने के संकेत दिए हैं। अवैध उत्खनन का पट्टा निरस्त होने के अलावा ठेकेदार पर भी सीधे कार्रवाई होना तय माना जा रहा है। बांकल रेत खदान की 30 साल की लीज मिलने के आधार पर ठेकेदार अर्चना दुष्यंत दास ने नियमों की परवाह किए बगैर निर्धारित सीमा से बाहर 17 हजार घन मीटर की खुदाई कर दी।
लीजधारक पर लगे मामलों पर लगे आरोपों को देखकर कलेक्टर ने जल संसाधन के एसडीओ एसके शर्मा व खनिज अधिकारी राजेश मालवे तथा नायब तहसीलदार को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। तीनों अफसरों ने अलग-अलग तरीके से खदान की जांच की। जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि ठेकेदार ने पर्यावरण नियमों का जमकर उल्लंघन किया है। वहीं भू-राजस्व राशि का भी भुगतान नहीं किया। जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने पट्टाधारी को नोटिस जारी किया था। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद बांकल रेत खदान की लीज को खत्म करने के लिए प्रशासन ने तैयारी कर ली है।
मिली जानकारी के मुताबिक पट्टेदार को बांकल के खसरा नं. 406 रकबा 4.85 हेक्टेयर क्षेत्र पर खनिज रनर मोल्डिंग सेंड का खनिज पट्टा दिनांक 17 सितंबर 2004 से सितंबर 2054 तक स्वीकृत किया गया था। यानी इस लीज में नियमों के तहत 30 वर्ष तक खनन सिर्फ औद्योगिक कार्यों के लिए स्वीकृत की गई। इसके बाद ठेकेदार ने कोरोनाकाल के दौरान दबे पांव अवैध उत्खनन करते हुए निर्धारित क्षेत्र के बजाय दूसरी जगह से खुदाई कर दी। रेत का अवैध खनन करने के लिए लीजधारी ने नदी के बहाव को भी रोक लिया। रेत का ढ़ेर लगाकर नदी के बीच अस्थाई पुल भी बना दिया। वहीं श्रमिकों के बजाय मशीनों से बड़े पैमाने पर रेत की निकासी की गई। एक जानकारी के मुताबिक दो साल के भीतर ठेकेदार ने रेत का जमकर कारोबार किया, लेकिन ग्राम पंचायत के विकास के लिए तय नियमों के आधार पर फंड उपलब्ध नहीं कराया। वहीं पर्यावरण के लिहाज से अन्य शर्तों को भी दरकिनार किया।
मिली जानकारी के मुताबिक पट्टाधारी द्वारा रियाायत नियम 2016 एवं खनिज संरक्षण विकास तथा विनियमन नियम 2017 का उल्लंघन किया। खनिपट्टा के संंबंध में सभी सुसंगत दस्तावेजों एवं उत्पादन खनिज प्रेषण पंजी, रायल्टी निर्धारण पंजी एवं खनिपट्टा के सभी प्रकार के अद्यतन अनुमोदित प्लान एवं सेक्शन का संधारण नहीं किया। इस तरह ठेकेदार ने नियमानुसार मोल्डिंग सेंड की खुदाई और भराई के लिए श्रमिकों का उपयोग नहीं किया। कुल मिलाकर ग्रामीणों ने भी ठेकेदार के ऊपर कई तरह के आरोप लगाए थे। बांकल के ग्रामीणों ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। माना जा रहा है कि ग्रामीणों की शिकायत को लेकर कलेक्टर ने गंभीरतापूर्वक कार्रवाई करते हुए ठेकेदार पर एक तरह से शिकंजा कसा है।