सरगुजा
प्रोटोकाल में लग्जरी वाहन के नाम पर दौड़ी थी बाइक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 6 फरवरी। वर्ष 2010 में सीएम प्रोटोकाल में वीआईपी व्यक्तियों को लग्जरी गाडिय़ां उपलब्ध कराने एवं पेट्रोल-डीजल के नाम पर लाखों का फर्जीवाड़ा करने के मामले में फरार चार आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अम्बिकापुर सरगुजा नीलिमा सिंह बघेल ने आरटीआई कार्यकर्ता व अधिवक्ता डीके सोनी की आपत्ति के बाद खारिज कर दिया है।
इस मामले में ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन अपर कलेक्टर सहित 7 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया था, वहीं 12 वर्ष के बाद ईओडब्ल्यू ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर 4 फरवरी को विशेष न्यायालय में पेश किया था, जहां इनकी भी जमानत याचिका खारिज हो गई थी।
इसी मामले में फरार 4 आरोपी विजय कुमार गुप्ता निवासी देवीगंज रोड संगम चौक, अजय कुमार मिश्रा सहायक शिक्षक निवासी नमनाकला रिंग रोड, अखिल कुमार गुप्ता निवासी नमनाकला एवं दिलीप विश्वकर्मा अग्रसेन चौक अम्बिकापुर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से 5 फरवरी को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अम्बिकापुर में अग्रिम जमानत हेतु याचिका दायर की थी, जिसमें अधिवक्ता डीके सोनी की आपत्ति के बाद इन चारों की भी जमानत याचिका न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई।
गौरतलब है कि करीब 12 वर्ष पहले अम्बिकापुर के आरटीआई कार्यकर्ता व अधिवक्ता डीके सोनी ने सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मांगी थी, उसके तहत प्रोटोकाल विभाग में वीआइपी व्यक्तियों को दी जाने वाली वाहन सुविधा के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी सामने आई थी, उसके मुताबिक वीआईपी को प्रोटोकाल विभाग द्वारा दी जाने वाली लग्जरी वाहनें के नंबर बाईक, पिकअप व प्राईवेट कार के मिले थे और उन्हें किराए में लिए गये वाहनों का नम्बर बताकर भुगतान भी कर दिया गया था।
सन 2010 के अक्टूबर में जब इस मामले की हकीकत सामने आई तो अधिवक्ता डीके सोनी ने इस गड़बड़ी की शिकायत राज्यपाल व मुख्यमंत्री से करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की थी और प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इसकी जानकारी देते हुए अधिवक्ता डीके सोनी ने बताया था कि वर्ष 2007 से 2009 के दौरान प्रोटोकाल विभाग से वीआईपी को उपलब्ध कराए गये वाहनों के प्रकार, उसकी सूची, किराया भुगतान व डीजल पेट्रोल खर्चे का विवरण आरटीआई के माध्यम से मांगा गया था और स्थानीय स्तर पर हीला हवाली के बाद राज्य सूचना आयुक्त के निर्देश के बाद प्रोटोकाल विभाग द्वारा 562 वाहनों की जानकारी दी गई थी। वहीं जांच पड़ताल के बाद 2012 में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू)ने तत्कालीन अपर कलेक्टर बीके ध्रुव सहित सात आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया था। इस मामले के उजागर होने के 12 साल बाद ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार को दो आरोपियों को गिरफ्तार कर 6 लोगों के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान पेश किया था। वहीं अधिवक्ता डीके सोनी के द्वारा आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद विशेष न्यायालय ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद दोनों आरोपियों को जेल दाखिल कराया गया है।
इस मामले में चार आरोपियों की गिरफ्तारी होनी अभी बाकी है, इन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत हेतु याचिका दायर की थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है, वहीं तत्कालीन अपर कलेक्टर बीके धुर्वे को आईएएस अवॉर्ड दिए जाने की वजह से ईओडब्ल्यू ने आरोपी तत्कालीन अपर कलेक्टर के खिलाफ चालान पेश नहीं किया है।
बीके धुर्वे के खिलाफ चालान पेश करने के लिए ईओडब्ल्यू ने अभियोजन की स्वीकृति हेतु सेंट्रल गवर्नमेंट से मंजूरी मांगी है। मंजूरी मिलते ही ईओडब्ल्यू बीके धुर्वे के खिलाफ भी विशेष न्यायालय में चालान पेश करेगी।