कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 15 फरवरी। गत दिनों पूर्व कांग्रेस के डिजिटल सदस्यता प्रशिक्षण में अम्बिकापुर गए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने पत्रकारवार्ता में शराब बंदी को लेकर एक बड़ा बयान दिया। इस संबंध में भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष लता उसेंडी ने कहा कि पीने वाले को पीने का बहाना चाहिए, शराब हमारे आदिवासी समाज को नासूर बनकर समाज की विकास को आर्थिक और मानसिक रूप से कमजोर कर रही है। शराब रीति रिवाज परंपरा के नाम से भोले भाले भाइयों को दिग्भ्रमित कर रही है। आदिवासी समाज में कुल देवी व अन्य देवी देवता के उपस्थिति में महुआ फूल का तर्पण किया जाता है तथा किसी का सम्मान किया जाता है, तो महुआ फूल की माला (हार) पहना कर सम्मान की जाती है।
आदिवासी समाज में आमा त्यौहार पर शराब पर पूर्णत: प्रतिबंध होता है। यह अलग बात है कुछ दिग्म्रमित लोग अपने परम्परा के नाम से शराब सेवन व चढ़ावा करते हैं। कांग्रेस कभी नहीं चाहती कि आदिवासी शिक्षित, सृदृढ़ हो तभी तो 1982 में पूर्व मंत्री स्वगीय मनकु राम सोढ़ी द्वारा आदिवासी को 5 लीटर शराब की छूट दी गई। भूपेश बघेल कांग्रेस की घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ शराब बंदी की घोषणा की थी जो अभी तक लागू नहीं की और शराब आदिवासी ही नहीं समस्त बस्तर को अंदर से खोखला कर रही है।
प्रत्येक गांवों में अवैध महुआ शराब युरिया मिली का बिक्री हो रही है। जिसके कारण प्रत्येक ग्रामों में लिवर क्षतिग्रस्त, किडनी बीमारी, पीलिया के लक्षण की शिकायतें प्राप्त हो रही है।