राजनांदगांव
![दिग्विजय कॉलेज में व्याख्यान दिग्विजय कॉलेज में व्याख्यान](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1645178005G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 फरवरी । शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा ‘1857 के विद्रोहो के विभिन्न आयामों’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
प्रारंभ में विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र ने व्याख्यान की उपयोगिता पर प्रकाश डालते कहा कि वर्तमान समय में ऐसे आयोजन से छात्र-छात्राओं को लाभ प्राप्त होता है। 1857 के विद्रोह के संदर्भ में नए आयाम आ रहे है अत: उस पर चर्चा हेतु यह आयोजन किया गया।
प्राचार्य डॉ. केएल टांडेकर ने कहा कि ऐसे आयोजनों से महाविद्यालय तथा अन्य क्षेत्रों के विद्यार्थियों को ज्ञान की प्राप्ति होती है। 1857 के विद्रोहो के उपर हमेशा चर्चा होती रहती है। समयानुकूल नई - नई बाते सामने आ रही है।
मुख्य वक्ता डॉ. गिरिश कुमार सिंह प्राचार्य दुर्गा प्रसाद बलजीत सिंह पी.जी. कॉलेज अनुपशहर (उ.प्र.) ने कहा कि क्या यह सैनिक विद्रोह था या एक राष्ट्रीय विद्रोह था या जैसा कि सावरकर ने इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा था।
इस विषय पर उन्होंने पक्ष तथा विपक्ष में तर्क देते बहुत ही अच्छे ढंग से विस्तारपूर्वक बताया कि आधुनिक शोधों में 1857 की क्रांति को हितों की सहभागिता के आधार पर हुआ संघर्ष माना जाता हैं क्योंकि इसमें शामिल होने वाले सभी लोगों के हित अलग-अलग थे, लेकिन सबको एक समान शत्रु थे अंग्रेज।
अंग्रेजों के विरुद्ध भले ही अपने स्वार्थ रहे हो, पर सभी ने मिलकर अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध विद्रोह किया। आभार प्रदर्शन प्रो. हेमलता साहू द्वारा किया गया।