राजनांदगांव
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कुलपति नियुक्ति राज्यपाल का संवैधानिक हक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 21 फरवरी। डोंगरगांव विधायक दलेश्वर साहू स्वेच्छानुदान मामले में भाजपा नेताओं के निशाने पर है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने तंज कसते कहा कि उन्हें नहीं पता था कि विधायक दलेश्वर साहू इन दिनों गरीबी का सामना कर रहे है। उन्होंने कहा कि पत्नी को 5 लाख रूपए की आर्थिक सहायता देकर राज्य सरकार की कोष में मची लूट का विधायक दलेश्वर ने प्रामाणिक सबूत दिया है।
पूर्व सीएम ने कहा कि आर्थिक सहायता के नाम पर मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान की विधायक ने बंदरबाट की है। पिछले कुछ दिनों से स्वेच्छानुदान का मामला राजनीतिक सुर्खियां बटोर रहा है। भाजपा नेताओं ने विधायक दलेश्वर साहू के खिलाफ बयानबाजी कर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
रविवार को एक दिनी दौरे पर पहुंचे पूर्व सीएम ने कहा कि उन्हें यह पता नहीं था कि विधायक तंंगहाली में जीवन जी रहे हैं। पूर्व सीएम ने कटाक्ष करते कहा कि वह भी आर्थिक सहायता के आंकाक्षी हैं। दरअसल पूर्व सीएम का वक्तव्य इसलिए भी सामने आया कि सत्तारूढ़ कांग्रेस विधायक होने के साथ ही दलेश्वर साहू की साधन संपन्न किसानों में भी गिनती होती है। साहू के पैतृक गांव आलीवारा में उच्च तकनीकी के जरिए खेती होती है। उनके फार्म हाऊस को काफी उन्नत माना जाता है। यही कारण है कि पूर्व सीएम ने राजनीतिक कटाक्ष करते हुए विधायक के कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाए।
इस बीच पूर्व सीएम ने समूचे राज्य की हालत पर भी कांग्रेस सरकार को घेरा है। उन्होंने कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद पर कहा कि भाजपा भी स्थानीय लोगों को कुलपति पद पर नियुक्त करने की हिमायती है लेकिन इस पद पर मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों और करीबियों को महत्व देना उचित नहीं है। पूर्व सीएम ने कहा कि राज्य के ज्यादातर विश्वविद्यालयों में स्थानीय बतौर कुलपति पदस्थ हैं। राज्यपाल का संवैधानिक अधिकार होने की वजह से सरकार को इस मामले में दखल देने से दूर रहने की सलाह देते डॉ. सिंह ने कि इस मुद्दे पर सरकार का राजभवन सेे भिडऩा उचित नहीं है।