राजनांदगांव
![संत शिरोमणि रविदास की जयंती धूमधाम से मनी संत शिरोमणि रविदास की जयंती धूमधाम से मनी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1645440337jn__8.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 21 फरवरी। जिला रविदास समाज सेवा समिति राजनांदगांव के तत्वावधान में बजरंगपुर नवागांव में जिला स्तरीय संत शिरोमणि रविदास की जयंती उत्साहपूर्वक मनायी गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व महापौर सुदेश देशमुख व अध्यक्षता नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने किया। विशेष अतिथि प्राचार्य डॉ. केएल टांडेकर व डॉ. एसआर कन्नौजे शामिल हुए।
मुख्य अतिथि सुदेश देशमुख ने कहा कि संत रविदास मध्यकाल के ऐसे संत समाज सुधारक एवं विचारक रहे, जिन्होंने सामाजिक बुराईयों का पुरजोर विरोध किया और समतामूलक सामाजिक, राजनैतिक व्यवस्था की परिकल्पना की। बराबरी पर आधारित राज की मांग उठाने वाले वो पहले महापुरूष थे। वे जाति पांति के बंधन से मुक्त समाज की व्यवस्था के पक्षधर थे। मुख्य अतिथि ने अगले जयंती तक सामाजिक भवन के चारों ओर आहता निर्माण करवाने की बात कही तथा संत रविदास जयंती के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किए जाने हेतु प्रतिनिधिमंडल के साथ स्वयं मुख्यमंत्री से चर्चा करने का आश्वासन दिया।
अध्यक्षता करते श्री यदु ने कहा कि पिता रघु एवं माता करमा देवी के घर चौदहवीं सदी के उत्तरार्ध में बालक रविदास का जन्म हुआ। उन्हें सेवा की भावना अपने माता-पिता से विरासत में प्राप्त हुई। रविवार के दिन पैदा होने के कारण उनका नाम रविदास रखा गया। संत रविदास का मानना था कि जाति से कोई बड़ा या छोटा नहीं होता अपितु अपने कर्म से ही मानव महान बनता है। वे जीवन पर्यन्त सामाजिक विषमताओं एवं जाति व्यवस्था के भेदभाव पर प्रहार करते रहे। परिश्रम से कमाई करना एवं परमार्थ से साधना करना उनके जीवन का प्रमुख कार्य रहा। विशेष अतिथि डॉ. टांडेकर व डॉ. कन्नौजे ने भी अपने विचार रखे। सभा को रामचरण खरे, सीएल चंद्रवंशी, सिद्धार्थ चौरे, प्रशांत सुखदेवे ने भी संबोधित किया।
इस समारोह में पीआर झाडे, इठोवा चौहान, निर्मल खरे, योगराज जगने, आनंद भोंडेकर, अनुसुईया जगने, शशिकला हठीले, पार्षद छेदैया, आशीष डोंगरे, एलसी मेश्राम, कांति फूले, माताभीख अनोखे, गांधीतनय टांडिया, जीवन भोंडेकर, आरपी लांझकर, मेवालाल, माधो टांडेकर, कन्हैया खरे, पुष्पा मोहबे, संतोषी तुरकने, रविता लकड़ा, नकुल मोहबे, रामप्रसाद खरे, शंकर तुरकने, प्रहलाद जगने, देवेन्द्र चौहान, संजय बरईकर, आनंद हठीले, शिशुपाल हठीले, रामभाऊ गायकवाड़, कन्हैया मोहबे, महेश मोहबे, संजय मोहबे, प्रतिमा वासनिक, भीवा टांडेकर सहित अन्य उपस्थित रहे।