गरियाबंद

राजिम मेला में महिला समूहों ने छोड़ी छाप, भोजन व्यवस्था से लेकर गुलदस्ते और मोमेन्टो भी महिला समूहों की जिम्मेदारी
27-Feb-2022 5:18 PM
  राजिम मेला में महिला समूहों ने छोड़ी छाप, भोजन व्यवस्था से लेकर गुलदस्ते और मोमेन्टो भी महिला समूहों की जिम्मेदारी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजिम, 27 फरवरी।  ‘‘तोड़ तोड़ के बंधनों को देखो, बहने आती हैं आएंगी, वह तो नया जमाना लाएंगे,’’ यह गीत यूं ही नहीं लिखा गया है, महिला अगर ठान ले तो हर काम संभव है। राजिम माघी पुन्नी मेला के विशाल आयोजन में महिलाएं इस बार बढ़-चढक़र अपनी जिम्मेदारियां निभा रही हैं।

श्रद्धालुओं से लेकर अधिकारी और कर्मचारियों के लिए भोजन व्यवस्था फिंगेश्वर विकासखण्ड के शुभ सवेरा कलस्टर के समूहों द्वारा ही किया जा रहा है। प्रतिदिन एक हजार से लेकर 15 सौ लोगों का लिए खाना बनाना चुनौती पूर्ण कार्य था, जिसे स्वीकर कर स्वादिष्ट और लजीज भोजन समय पर परोसा जा रहा है। सद्व्यहार के साथ खाना खिलाने से लोग संतुष्ट होकर जा रहे हैं। इतना ही नहीं राजिम मेला में महिला कमांडो के माध्यम से प्रतिदिन सफाई की जिम्मेदारी भी इन्हीं कंधों पर है। राजिम मेला में इस बार सरस मेला आकर्षण का केंद्र है, जहां 80 महिला समूह के द्वारा बनाए गए उत्पादों को विक्रय करने का अवसर मिला है। अपने हुनर और बेहतरीन कारीगरी के दम पर महिलाओं द्वारा बनाए गए बांस से निर्मित वस्तुएं हाथों-हाथ बिक रही हैं।

यहां तक मेले में आने वाले मुख्य अतिथि, मंत्रीगण को भेंट करने वाले गुलदस्ते और फूल भी बांस से निर्मित है, जिसे तिरंगा कलस्टर रानी परतेवा अंतर्गत जय मां भवानी समूह एवं जय मां चण्डी छुरा महिला समूहों ने बनाया है। इसकी सराहना राज्यपाल से लेकर मंत्री गण भी कर चुके हैं इसके ना केवल इन्हें संबल मिलता है बल्कि आय बढ़ाने का अवसर भी मिलता है। इसी तरह जनपद सीईओ रूची शर्मा के मार्गदर्शन में तुलसी मैय्या लोहझर समूह एवं शीतला महिला समूह रानी परतेवा द्वारा विविध परिधानों और पारम्परागत परिवेश में महिलाएं संगवारी सेल्फी जोन बनाकर एक नया नई पहल की है।

 इससे महिलाओं को आय भी हो रही है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि राजिम माघी पुन्नी मेला में इस बार महिलाओं ने विशेष छाप छोड़ी है और अपने हुनर और कुशलता के दम पर आय अर्जित करने का अवसर भी हासिल किया है। महिला समूहों की सदस्यों ने बताया कि कलेक्टर नम्रता गांधी के मार्गदर्शन में उन्हें नया रास्ता मिला है। अब वे आगे पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने काम में जुट गई है। उनके मार्गदर्शन से ही मेला में महिला समूहों की अलग ही छाप दिखाई देती है।

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