रायपुर
![होली की उमंग आयुर्वेद के संग, खान-पान में रखें सावधानी, शराब, भांग और अन्य मादक पदार्थों से रहें दूर होली की उमंग आयुर्वेद के संग, खान-पान में रखें सावधानी, शराब, भांग और अन्य मादक पदार्थों से रहें दूर](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1647518389642416665G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 मार्च। होली यानि रंगों और नाना प्रकार के पकवानों के इस त्योहार के दौरान खान-पान में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में उमंग और उत्साह के मौसम बसंत ऋ तु में मनाए जाने वाले होली पर्व को आरोग्य के लिए महत्वपूर्ण पर्व माना गया है क्योंकि इस त्योहार में मन ईर्ष्या, द्वेष, शत्रुता, क्रोध जैसे मानसिक अवगुणों से मुक्त होकर प्रफुल्लित रहता है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि चूंकि इस समय वातावरण में अनेक पराग कण मौजूद रहते हैं जो एलर्जिक रोग पैदा करते हैं, इसलिए होलिका दहन में अगरू, आम, साल, नीम इत्यादि के सूखे पेड़ों की टहनियों तथा गूगुल, कपूर इत्यादि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का उपयोग हवन के रूप में करना चाहिए ताकि वातावरण संक्रमण रहित हो सके। डॉ. शुक्ला ने बताया कि होली त्योहार के दौरान लोगों को रंग-गुलाल के साथ ही खान-पान में लापरवाही के कारण अनेक बार सेहत से जुड़ी समस्याओं से जूझना पड़ता है। इन दिनों बाजार में बिकने वाले अधिकांश रंग और गुलाल केमिकल और सिंथेटिक होते हैं जो अनेक बार आंख और त्वचा के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसलिए रंग और अबीर के चयन में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि टेसू सहित अनेक वनस्पतियों जिससे प्राकृतिक रंग और गुलाल बनाया जाता है, उनमें औषधि गुण भी होते हैं।