रायपुर
![नर्सिंग कॉलेजों के आधा दर्जन संविदा सह-प्राध्यापक हटाए गए नर्सिंग कॉलेजों के आधा दर्जन संविदा सह-प्राध्यापक हटाए गए](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1649226028G_LOGO-001.jpg)
नियमित कर्मियों को प्रमोशन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 अप्रैल। डीएमई ने एक आदेश मेें राज्य के आधा दर्जन नर्सिंग महाविद्यालयों में दशकभर से कार्यरत 6 सह-प्राध्यापकों को एकाएक पद से पृथक कर दिया है। डीएमई के इस फैसले से सह-प्राध्यापकों के सामने भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है। जबकि राज्य के कई कॉलेजों में पद खाली पड़े हैं। डीएमई ने पिछले दिनों नियमित सह-प्राध्यापकों को प्रमोशन देकर संविदा सह-प्राध्यापकों को बाहर का रास्ता दिखाया है। डीएमई के इस निर्णय से 10 से 12 वर्ष से कार्यरत सह-प्राध्यापकों का भविष्य खतरे में पड़ गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक डीएमई द्वारा नियमित सह-प्राध्यापकों को प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति दी है। डीएमई ने पदोन्नत कर्मियों को मौजूदा कॉलेजों में ही पदस्थ किया है। पदस्थापना के एवज में संविदा कर्मियों की सेवाओं को खत्म कर दिया गया। इसके बाद करीब 6 सह-प्राध्यापक कार्यमुक्त कर दिए गए हैं। नियमित सहायक प्राध्यापकों की पदोन्नति प्रक्रिया में कई तरह की शिकायतें सामने आ रही है। जिसमें राज्य के कई नर्सिंग महाविद्यालयों में खाली पद हैं। पदोन्नत कर्मियों को ऐसे कॉलेजों में पदस्थ किया जा सकता था, लेकिन डीएमई ने नियम-शर्तों का हवाला देकर संविदा कर्मियों की नियुक्ति समाप्त कर दी।
बताया जाता है कि डीएमई द्वारा राज्य सरकार से पदों की रिक्ततता और तथ्यों को भी छुपाया गया है। पदोन्नति प्रस्ताव में कई तरह की तकनीकी विषयों से आला अफसरों को गुमराह किया गया है। सेवा से वंचित संविदा सह प्राध्यापकों ने लंबी सेवाएं कॉलेजों को दी है। नियमित सह-प्राध्यापकों को प्रमोशन देने के मामले में डीएमई की नीतियां स्पष्ट नहीं है।
राज्य सरकार की संविदा कर्मियों को लेकर नीति बेहद स्पष्ट है, जहां नियमितकर्मी नहीं है, उनके स्थान पर संविदा नियुक्ति को सरकार द्वारा प्राथमिकता दी जा रही है। इससे परे संविदा कर्मियों को ही डीएमई ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस संंबंध में स्वास्थ्य सचिव मनिंदर कौर द्विवेदी ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी और पूरी जानकारी संबंधित अफसरों से ली जाएगी।
इस बीच प्रमोशन के मामले को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों में काफी नाराजगी है। पिछले दिनों पीडि़त सह-प्राध्यापकों ने प्रमुख सचिव से मिलकर अपना पक्ष रखा है। इधर डीएमई डॉ. विष्णु दत्त ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि नियमत: प्रमोशन के बाद पदस्थापना दी गई है। उन्होंने कहा कि नियमित कर्मियों की पदस्थापना के साथ ही संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त होने का प्रावधान है। इसमें किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती गई है। गौरतलब है कि राज्य के दुर्ग, रायपुर, राजनांदगांव समेत अन्य जिलों में 8 नर्सिंग महाविद्यालय संचालित हैं। जिसमें 6 सह-प्राध्यापक लंबे समय से सेवारत थे।