रायपुर
![साइबर संगवारी गायब, ठगी के केस बढ़े, जागरूक करने की मुहिम ठप साइबर संगवारी गायब, ठगी के केस बढ़े, जागरूक करने की मुहिम ठप](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1649765644aibar-sale.jpg)
कोतवाली में महीनों पहले बनी थी स्पेशल यूनिट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 अप्रैल। शहर में साइबर क्राइम रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने पुलिस की मुहिम फिलहाल ठप है। स्पेशल यूनिट के साथ साइबर संगवारी का कांसेप्ट फिलहाल सडक़ के बाहर है कि आम लोगों को जागरूक करने बनाई गई स्पेशल यूनिट की टीम भी लापता है। प्रदेश की राजधानी में हर दिन ऑन लाइन फ्राड या फिर साइबर क्राइम के दो से तीन मामले पहुंच रहे हैं। अज्ञात फोन धारकों की तरफ से लोगों से संपर्क कर उनके साथ ठगी की वारदातें आम हो गई है। साइबर सेल के पास मौजूदा आकड़ों में पिछले तीन महीने के भीतर ही ठगी के 100 से ज्यादा केस पहुंचे हैं। जिन मामलों में पीडि़तों ने तत्काल संपर्क किया है उसमें पुलिस टीमें बैंक खातों के वॉलेट से रुपयों का ट्रांजेक्शन रूकवा पाई है लेकिन ऐसे मामले जिनमें पीडि़तों की तरफ से संपर्क करने में देरी हुई अज्ञात ठगों ने आसानी से उनके खातों से रकम चुराया है। आम लोगों को साइबर ठगी से बचने और फिर अपराधों के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से पुलिस ने कोतवाली से दो गश्त वाहन के साथ साइबर संगवारी का कांसेप्ट शुरू किया था लेकिन कुछ ही दिनों में यह कांसेप्ट फेल हो गया। अब साइबर संगवारी यूनिट का कहीं अता पता नहीं है। खुद साइबर सेल को भी मालूम नहीं है कि साइबर संगवारी इस समय किस तरह का कामों में व्यस्त है। एएसपी साइबर क्राइम अभिषेक माहेश्वरी से साइबर संगवारी के बारे में बातचीत करने पर पता चला है यह यूनिट पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुकी है। एएसपी का कहना है अभी बड़े मामलों की जांच के लिए टीमें लगी हुई है ऐसे में उन्हें भी नहीं मालूम है कि साइबर यूनिट किस तरह से काम कर रही है। कोतवाली थाना क्षेत्र से विशेष मुहिम की शुरूआत करते हुए साइबर संगवारी दल के लिए टीमें गठित होने के बाद शहर में अलग-अलग जगहों पर अवेयरनेस कार्यक्रम का शेड्यूल तय किया गया था। इस यूनिट ने कुछ दिनों तक आम लोगों के बीच दौड़ लगाई लेकिन बाद टीम सडक़ों से गायब हो गई।
साइबर एक्सपर्ट का अहम रोल: साइबर संगवारी यूनिट में साइबर क्राइम के विशेष जानकारों की ड्यूटी लगाई जाती थी। जागरूकता कार्यक्रमों में एक्सपर्ट गली मोहल्लों से लेकर घनी आबादी वाले हिस्सों में जाकर लोगों को साइबर क्राइम के बारे में जानकारी दे सके। उद्देश्य पूरा करने दो टीमों का गठन कर कुछ दिनों के लिए शहर में गश्त टीम दौड़ी लेकिन बाद में एक्सपर्ट्स व्यस्तता के कारण इस यूनिट से दूर होते चले गए।
दो सौ से ज्यादा केस का दबाव
ऑन लाइन फ्राड से लेकर दूसरे तरह के आर्थिक अपराधों के मामलों में साइबर सेल के पास दो सौ से ज्यादा प्रकरणों में जांच कार्रवाई का दबाव है। सबसे ज्यादा अज्ञात फोन कॉल्स के जरिए लोगों से ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। एक साल में दो से ढाई सौ केस आम है। प्रदेश की राजधानी में ही सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले हैं। स्टेट साइबर थाना बनने के बाद भी जिले में सबसे ज्यादा केस पहुंच रहे हैं।
इस तरह के साइबर
फ्राड केस बढ़े
- रिटायर्ट सरकारी कर्मचारियों को लुभावनी स्कीमें बताकर।
- आधार कार्ड अपडेट कराने और बैंक खाता का लिंक जोडऩे का झांसा।
- लॉटरी लगने के बाद प्रोसेसिंग फीस के नाम पर ठगी।
- ऑन लाइन एप्प में ईनाम जीतने का झांसा देकर ऑन लाइन फ्राड।
- क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड अपडेट कराने के नाम पर ठगी।
- मोबाइल टावर लगाने का झांसा देकर ठगी।
- शेयर मार्केट में निवेश पर दोगूना प्राफीट दिलाने साइबर ठगी।