रायपुर
![रविवि डाकघर में आठ करोड़ का फर्जीवाड़ा, पांडेय दंपत्ति के साथ मिलकर ठगने वाला साथी वर्षों बाद अरेस्ट रविवि डाकघर में आठ करोड़ का फर्जीवाड़ा, पांडेय दंपत्ति के साथ मिलकर ठगने वाला साथी वर्षों बाद अरेस्ट](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/16500219011.jpg)
पति की मौत के बाद पत्नी पुलिस की सूची में फिलहाल फरार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 अप्रैल। सरस्वती नगर थाना पुलिस ने रविशंकर यूनिवर्सिटी परिसर में मौलूद उप डाकघर के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले तीसरे एजेंट को गिरफ्तार किया है। आरोपी की लगभग एक साल बाद गिरफ्तारी हुई है। मामले में भूपेश पांडे और उसकी पत्नी आकांक्षा पांडे के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। जांच पड़ताल के बाद प्रीतम ठाकुर निवासी छिंदवाड़ा के भी प्रकरण में शामिल होने की जानकारी मिली।
सबूतों के आधार पर पुलिस ने आरोपी प्रीतम को गुरूवार देर शाम गिरफ्तार कर रायपुर लेकर पहुंची। प्रक्रिया पूरी करते उसे जेल भेजा गया। पुलिस ने बताया कि डाकघर से जुड़े मामले में लगभग दस करोड़ रुपये का घोटाला करने का मामला 2021 में सामने आया था। दर्जनभर लोगों की मेच्योरिटी की रकम हड़प करने के साथ ही उनके खातों से निकाली गई राशि को किसी दूसरे मदों में लगाने का झांसा देकर पांडे दंपत्ति ने करोड़ों रुपये ठग लिए। जब यह मामला सामने आया तब आरोपी अचानक शहर से भाग निकले। पुलिस का कहना है थाना में एफआईआर दर्ज किए जाने के कुछ दिनों बाद ही भूपेश ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। आकांक्षा पांडे इसी दौरान फरार हो गई। तथ्यों और बयानों के आधार पर आगे छानबीन शुरू हुई तभी दंपत्ति के साथ प्रीतम के भी संलिप्त होने का पता चला। आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस ने उसे जेल दाखिल कराया। पुलिस का कहना है आकांक्षा फिलहाल फरार है। उसके बारे में लगातार पतासाजी चल रही है।
दूसरी ओर इस मामले में डाक विभाग भी अपनी आतंरिक जांच कर रहा है। जिसमें कर्मचारियों को लपेटे जाने का संदेह है, जबकि इस मामले में वे अफसर, पोस्टल इंस्पेक्टर भी दोषी बताए जा रहे हैं जिन्होंने 2015 से लेकर अब तक मामले के खुलासे तक रविवि उप डाकघर की सालान जांच करते रहे हैं। सूत्रों का कहना है बचत एजेंट आकांक्षा पांडे का पति मैसेंजर के रूप में सारा काम करता था। उसी ने कई फर्जी खाते खुलवाकर पचास रुपये को पांच लाख रुपये की एंट्री कर गड़बड़ी की। इस मामले में डाक विभाग की जांच में अब तक 25 से 28 लाख के गबन का पता चला है।
इसकी वसूली उप डाकघर में पदस्थ रहे कर्मचारियों से करने की भी तैयारी चल रही है। इसे लेकर विरोध उभर रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि जांचकर्ता अफसरों पर भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। सारे अफसर मिलकर एक दूसरे को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।