रायपुर
![बड़े मामलों में फिसल रही पुलिस की जांच, डकैती और चोरी में कई दिनों बाद भी सुराग नहीं बड़े मामलों में फिसल रही पुलिस की जांच, डकैती और चोरी में कई दिनों बाद भी सुराग नहीं](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1650117421642416665G_LOGO-001.jpg)
साइबर सेल और नई क्राइम ब्रांच टीम के गठन के बाद बड़े मामलों में लीड नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अप्रैल। शहर में क्राइम ब्रांच की नई यूनिट के गठन होने के बाद भी बड़े मामलों में स्पेशल टीम को लीड नहीं मिल सका है। सांई वाटिका में डकैती कांड और फिर आरंग में हुई बड़ी चोरी के मामले में पुलिस टीमें कोई सुराग नहीं जुटा सकी है।
शहर में आईपीएल शुरू होने के बाद पुलिस टीमें जरूर सटोरियों को दबोचने अभियान चला रही है लेकिन संगीन अपराध से जुड़े मामलों में पुलिसिया इन्वेस्टिगेशन इन दिनों के सवालों के घेरे में है। अभी तक सटोरियों के खिलाफ धरपकड़ अभियान में 12 से ज्यादा सटोरिए दबोचे गए हैं लेकिन शहर में पुराने खाईवाल अभी भी पकड़ से बाहर हैं। बड़े खाईवालों का पेशा सट्टा कारोबार ही है जो रायपुर छोडक़र दूसरे शहरों से खाईवाली कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो सटोरिए गोवा, मुंबई, दिल्ली और गुजरात जाकर ठिकाना बनाए हुए हैं। राजस्थान से भी कई बड़े खाईवालों के जाल फैलाकर प्रदेश में सट्टा कारोबार संचालित करने की खबरें हैं।
जिस तरह से राज्य शासन ने अपराधों की रोकथाम के लिए क्राइम ब्रांच के दोबारा गठन करने और फिर नए सिरे से टीम बनाने निर्देश दिए गए थे, राजधानी में एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने उसी तर्ज पर टीमों का अलग-अलग गठन किया था। जिस तरह से टीमें बनाई गई उसमें नशा कारोबार की रोकथाम करने से लेकर हार्डकोर अपराधियों की धरपकड़ के लिए यूनिट का गठन किया गया। बावजूद शहर में डकैती और शराब दुकान में चोरी की घटना को अंजाम देकर आरोपी शहर से भाग निकले। सांई वाटिका की डकैती के मामले में पुलिस टीमें धार और फिर महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में जाकर कई दिनों तक डेरा जमाए रही बावजूद इसके कहीं सफलता नहीं मिली। एंटी क्राइम एंड सायबर यूनिट में चार अलग-अलग विंग को शामिल किया गया है। इसमें कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं जिनकी पुराने क्राइम ब्रांच की टीम से वापसी हुई है। बावजूद लोकल स्तर पर मुखबीरी तंत्र कमजोर होने से अब यह टीम भी बेबस नजर आ रही है। डकैती कांड के अलावा चोरी के ही आधा दर्जन से ज्यादा मामले एक हफ्ते में सामने आए हैं लेकिन आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों में पुलिस को कोई लीड नहीं मिल पाने से परेशानी है।
ब्लाइंड केस में लगातार टीमें फेल
ऐसे मामले जहां पर आरोपियों ने तकनीकी सबूत मिटाए हैं वहां पुलिसियां जांच सिमट गई है। आरंग में चोरों ने सीसीटीवी कैमरा और डीवीआर उखाड़ फेंका। सांई वाटिका में कैमरा नहीं होने से फुटेज नहीं मिल सका। ऐसे ही कई मामले हैं जहां पर सूने मकानों में चोरी हुई लेकिन कैमरे और संदिग्ध मोबाइल ट्रेस नहीं हो पाने से पुलिस टीमें जांच के दौरान फेल साबित हुई।
केस 01
सांई वाटिका में डकैती कांड को लगभग दो हफ्ते गुजर चुके हैं लेकिन पुलिस कहीं सुराग नहीं जुटा सकी। पहली बार डकैतों ने घर से दोपहिया भी लूटा। पूरे शहर के पार्किंग स्थल जांचने के बाद भी पुलिस को लूटे गए दोपहिया के बारे में कोई खबर नहीं जुटा सके। डकैतों ने पुलिस के लिए चुनौती बढ़ाई।
केस 02
शराब दुकान में गार्ड के सोए रहने के दौरान पेशेवर तरीके से चोरों ने गल्ले से नगदी रकम करीब तीन लाख रुपये चुराए। मौके पर देशी और अंग्रेजी शराब दुकान के गार्ड से पुलिस ने बयान तो लिया लेकिन आगे किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सके।