रायपुर

सब इंजीनियर भर्ती में जालसाजी केस दर्ज, विज्ञापन 275 पदों का, भर्ती 383
18-Apr-2022 4:48 PM
सब इंजीनियर भर्ती में जालसाजी केस दर्ज, विज्ञापन 275 पदों का, भर्ती 383

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अप्रैल।
सिविल लाइंस पुलिस ने 10 साल पहले  पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में हुए  सब इंजीनियर भर्ती  में बरती गई जालसाजी को लेकर मामला दर्ज किया है। पुलिस ने इस मामले में दायर एक याचिका पर कोर्ट के निर्देश के बाद प्रकरण दर्ज किया है। विभाग ने 275 विज्ञापित पदों के विरूद्ध 383 सब-इंजीनियर की भर्ती की थी।

इस संबंध में पुलिस के अनुसार  2011-12 पहले सब-इंजीनियर की भर्ती में बड़ा गोलमाल हुअ। 275 पदों में भर्ती के लिए आवेदन मंगवाया गया लेकिन 383 पदों पर भर्ती कर दी। 108 अतिरिक्त पदों पर भर्ती करने के लिए ऐसे उम्मीदवारों का चयन कर दिया जिन्होंने दस्तावेजों का सत्यापन भी नहीं कराया था। कुछ ऐसे उम्मीदवारों को पोस्टिंग दी गई जिनका नाम सूची में भी नहीं था। कई अपात्र को नियुक्ति कर दी, जबकि जिनका नाम मेरिट लिस्ट में था, उनकी भर्ती नहीं की गई। भर्ती की पूरी प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई। कोर्ट के निर्देश के बाद अब सिविल लाइन पुलिस ने इस मामले में जालसाजी का केस दर्ज किया है।

कोर्ट ने पुलिस को पिछले साल 9 अगस्त को केस दर्ज करने का आदेश दिया था। 7 महीने की जांच के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। पुलिस के अनुसार विभाग से दस्तावेज मांगा गया है। उसके जांच के बाद दोषी का पता चल पाएगा। उनका परीक्षण करने से स्पष्ट होगा कि भर्ती की प्रक्रिया में कौन कौन अफसर शामिल थे और उनकी क्या जिम्मेदारी थी।

भर्ती में हुई गड़बड़ी में उनकी क्या भूमिका थी। पुलिस अफसरों ने अब तक की जांच के आधार पर बताया कि पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने 2011-2012 में सब इंजीनियर की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी। विभाग ने 275 पदों के लिए आवेदन मंगवाया था। इसके लिए बाकायदा विज्ञापन भी किया गया था। भर्ती का विज्ञापन जारी होने के बाद हजारों उम्मीदवारों ने आवेदन जमा किया।

उन आवेदनों की छटनी के बाद मैरिट सूची जारी की गई। उसके बाद सत्यापन किया गया। दस्तावेजों के सत्यापन के बाद ही 108 पदों पर अतिरिक्त भर्ती करते हुए विभाग ने 383 उम्मीदवारों के पोस्टिंग आदेश जारी कर दिए। विभाग की ओर से पोस्टिंग आदेश जारी होने के बाद एक दर्जन अभ्यार्थियों ने आपत्ति की। क्योंकि जिनका चयन हुआ उसमें कई अपात्र थे।

उनका सत्यापन सूची में भी नाम नहीं था। कई ऐसे लोगों की भर्ती हुई, जो भर्ती में शामिल ही नहीं हुए थे। उनकी भी नियुक्ति कर दी गई। कुछ अभ्यर्थियों ने सूचना के अधिकार में जानकारी निकाली। उसके बाद कोर्ट में परिवाद दायर किया। कोर्ट ने दस्तावेज के आधार पर केस दर्ज करने का निर्देश और दोषियों पर कार्रवाई करने को कहा गया।

पुलिस ने जालसाजी का केस दर्ज कर लिया। पुलिस ने अभी तक विभाग के किसी भी अधिकारी या स्टाफ को को नामजद आरोपी नहीं बनाया है। अफसरों का कहना है कि पूरी प्रक्रिया की जांच के बाद ही आदेश जारी किए जाएंगे।

 

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