रायपुर
![केंद्र ने छग को दिए 126 हजार करोड़, सीएम के आरोप मिथ्या, यह मदद संजीवनी से कम नहीं-सोनी केंद्र ने छग को दिए 126 हजार करोड़, सीएम के आरोप मिथ्या, यह मदद संजीवनी से कम नहीं-सोनी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1650283345unil-soni-10.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अप्रैल। सांसद सुनील सोनी ने सीएम भूपेश बघेल के आरोपों का प्रतिवाद किया है। उन्होंने कहा कि हम सबने देखा, सुना और भुगता भी है कि कोरोना ने विश्व की कई अर्थव्यवस्थाओं को ध्वस्त किया। भारत की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरीके से प्रभावित हुई। उसके बावजूद केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दी गई मदद उनके लिए संजीवनी से कम नहीं है।
सांसद श्री सोनी ने कहा कि वर्ष 19-20 में केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को लगभग 34 हजार करोड़ रूपये दिए जो राज्य की कुल आय का 53 प्रतिशत है, यानी केंद्र से मिली राशि राज्य की खुद की आय से ज्यादा रही। वर्ष 20-21 में भी हालत कुछ ऐसे ही थे। केंद्र सरकार ने राज्य को लगभग 38 हजार करोड़ रु दिए। वर्ष 21-22 में लगभग 44 हजार करोड़ और आने वाले वर्ष के लिए केंद्र से 44,573 करोड़ मिलना प्रस्तावित है।
उन्होंने आंकड़े देकर कहा कि हर वर्ष केंद्र से मिली या मिलने वाली राशि कांग्रेस शासन में राज्य की कुल आय से ज्यादा है। इस वर्ष के केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार ने राज्यों के विकास के लिए 2 लाख 92 हजार करोड़ की राशि अलग से पूजीगत व्यय के लिए आबंटित की है, जिसमें 8 हजार करोड़ का अतिरिक्त लाभ छत्तीसगढ़ को मिलने जा रहा है।
सोनी ने कहा कि कांग्रेस शासन में छत्तीसगढ़ को करों की हिस्सेदारी के रूप में केवल 32 प्रतिशत राशि मिलती थी लेकिन मोदी सरकार में अब हमारे राज्य को केन्द्रीय करों का 42 प्रतिशत हिस्सा मिल रहा है। खुद लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे मोदी जी ने सीधे दस प्रतिशत राज्यों का हिस्सा बढ़ाया। इन सारे तथ्यों के बावजूद कांग्रेस सरकार झूठ पर झूठ परोस रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र से मिलने वाली ग्रांट में प्रतिवर्ष 9 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है और पहले से छत्तीसगढ़ राज्य को केंद्र से 178 प्रतिशत राशि ज्यादा मिल रही है। केंद्र द्वारा इतना सब कुछ देने के बाद भी राज्य का अनर्गल आरोप लगाना संघीय व्यवस्था उस अनैतिकता का चरम है, जिसके लिए कांग्रेस को हम सब जानते हैं।
मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में 3 वर्षों के बजट अनुमानों के आधार पर इस आंकड़े के गणना की गई है, इससे अधिक हास्यास्पद और कुछ नहीं हो सकती है। राज्य सरकारों की देनदारी या लेनदारी बजट अनुमानों के आधारों पर तय नहीं होती। राज्य सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी के रूप में मांगी जाने वाली 13 हजार करोड़ की राशि पूरी तरह गलत है।