रायपुर

जनजातीय साहित्यकारों, विद्वानों, शोधार्थियों का समागम कल
18-Apr-2022 5:33 PM
जनजातीय साहित्यकारों, विद्वानों, शोधार्थियों का समागम कल

सीएम करेंगे राष्ट्रीय महोत्सव का शुभारंभ

छत्तीसगढ़ संवाददाता

रायपुर, 18  अप्रैल। राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का आयोजन 19 अप्रैल से किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय महोत्सव में देश भर के जनजातीय साहित्यकार शामिल होंगे। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल 19 अप्रैल को   शुभारंभ करेंगे।

आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव के साथ-साथ राज्य स्तरीय कला एवं चित्रकला तथा आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के तत्वाधान में किया गया।

प्रथम दिवस 19 अप्रैल को प्रथम सत्र में जनजातीय साहित भाषा विज्ञान एवं अनुवाद, जनजातीय साहित्य में जनजातीय अस्मिता एवं जनजातीय साहित्य में जनजातीय जीवन का चित्रण पर प्रथम सत्र में 9 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। जनजातीय समाजों की वाचिक परंपरा की प्रासंगिकता एवं जनजातीय साहित्य में अनेकता एवं चुनौतियों विषय पर द्वितीय सत्र में 12 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।

द्वितीय दिवस 20 अप्रैल को तृतीय सत्र में जनजातीय साहित्य में लिंग संबंध मुद्दे, जनजातीय कला साहित्य, जनजातीय साहित्य में सामाजिक-सांस्कृतिक संघर्ष जनजातीय साहित्य मुद्दे, चुनौतियां एवं संभावना विषय पर 12 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। जनजातीय विकास मुद्दे एवं चुनौतियों पर चतुर्थ सत्र में 15 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।

तृतीय दिवस 21 अप्रैल को पंचम सत्र में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी (भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में इनका संघर्ष, भूमिका एवं योगदान) पर 5 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके 21 अप्रैल को शाम 7 बजे से समापन समारोह की मुख्य अतिथि होंगी। साहित्यकारों, शोधार्थियों से राज्यपाल का परिचय, तीन दिवसीय कार्यक्रमों का प्रतिवेदन वाचन, महोत्सव के संबंध में प्रतिभागियों के अनुभव प्रस्तुत किए जाएंगे। इसके साथ ही सांस्कृतिक एवं नृत्य के कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।

महोत्सव में राज्य स्तर पर कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता आयोजन के साथ ही जनजातीय नृत्य एवं नाटकों का मंचन भी प्रत्येक दिन किया जाएगा। साहित्य महोत्सव के अंतर्गत कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता तीन आयु वर्गों में होगी। चित्रकला प्रतियोगिता के लिए राज्य भर से प्रविष्टियां आमंत्रित की गई है। अब तक तीनों आयु वर्गों में 200 प्रविष्टियां प्राप्त हुई है।

इसके अतिरिक्त हस्तकला के अंतर्गत माटी, बांस, बेलमेटल, लक?ी की कलाकृतियों का प्रदर्शन भी किया जाएगा।

महोत्सव में छत्तीसग? के विभिन्न नृत्य विधाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों में किए जाने वाले जनजातीय नृत्य शैला, सरहुल, करमा, सोन्दो, कुडुक, दशहरा करमा, विवाह नृत्य, म?ई नृत्य, गरवसिंह गे?ी, करसा?, मांदरी, डण्डार आदि नृत्यों का प्रदर्शन शामिल है। यह प्रदर्शन तीनों दिन शाम को किया जाएगा। कार्यक्रम के तीनों दिन शाम को जनजातीय संस्कृति एवं जनजातीय महापुरूषों एवं क्रांतिवीर, गुण्डाधूर, शहीद वीर नारायण सिंह पर आधारित प्रख्यात कलाकारों द्वारा मंचित नाट्य कार्यक्रम मुख्य आकर्षक होंगे। इसी प्रकार जनजातीय विषयवस्तु पर आधारित नाटक की प्रस्तुतियों से जनजातीय संस्कृतियों को महोत्सव में जीवंत किया जाएगा।

महोत्सव में जनजातीय विषयों पर आधारित पुस्तक मेले का भी आयोजन किया जा रहा है। इसमें देश के 12 प्रतिष्ठित शासकीय, अशासकीय प्रकाशकों को आमंत्रित किया गया है। इसमें आदिम जाति अनुसंधान तथा प्रशिक्षण संस्थान छत्तीसग? एवं आदिम जाति तथा विकास संस्थान मध्यप्रदेश के विभिन्न प्रकाशनों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। पुस्तक स्टॉलों के लिए ऑडीटोरियम की आंतरिक परिसर की गैलरी में व्यवस्था की गई है। जनजातीय विषयों का अध्ययन कर रहे छात्रों, शोधार्थियों के साथ ही आम साहित्य प्रेमी पाठक इससे लाभान्वित होंगे।

तीन दिवसीय महोत्सव में ऑडीटोरियम परिसर में छत्तीसग? में निर्मित विभिन्न जनजातीय हस्तशिल्प कलाओं के प्रदर्शन-सह-विक्रय के 30 स्टॉल भी लगाए जा रहे हैं। हस्तशिल्प कलाओं सें संबंधित स्टॉल के लिए हस्तशिल्प कला बोर्ड एवं माटीकला बोर्ड के द्वारा स्टॉल लगाए जाएंगे। वन विभाग द्वारा संजीवनी, वनोपज एवं वन औषधि स्टॉल के साथ-साथ जनजातीय चित्रकला की प्रदर्शनी, ग?कलेवा, बस्तरिहा व्यंजन, आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की प्रदर्शनी, अंत्यावसायी निगम की विभागीय योजनाओं का प्रदर्शनी, ट्रायफेड आदि के स्टॉल लगाए जाएंगे।

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