रायपुर
![ट्रांसपोर्ट हड़ताल, सीमेंट के दामों में फिर उछाल के आसार, लोहा भी हुआ महंगा ट्रांसपोर्ट हड़ताल, सीमेंट के दामों में फिर उछाल के आसार, लोहा भी हुआ महंगा](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/16503702539_10_2021-cement_bags.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 अप्रैल। सीमेंट की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोत्तरी के आसार हैं। सीमेंट कंपनियों में ट्रांसपोर्टरों ने परिवहन भाड़ा बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। अंबुजा में तो ट्रांसपोर्टरों ने तो हड़ताल शुरू कर दिया है, बाकी कंपनियों में भी आज-कल में सीमेंट का परिवहन रोकने की कोशिश चल रही है।
हफ्तेभर पहले सीमेंट के दामों में एकाएक इजाफा हुआ था। राज्य बनने के बाद एक साथ 50 रुपये प्रति बोरी सीमेंट के दाम बढ़े थे। तब सीमेंट कंपनियों ने कोयले और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी की वजह से दाम बढ़ाने की बात कही थी। प्रति बोरा 350 रुपये के आसपास सीमेंट के दाम हो गए हैं।
बताया गया कि दामों में अब और बढ़ोत्तरी की संभावना जताई जा रही है। वजह यह है कि सीमेंट का परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टर भी हड़ताल पर जा रहे हैं। अंबुजा में कंपनियों ने सीमेंट का परिवहन बंद कर दिया है। ट्रांसपोर्टर भाड़ा बढ़ाने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। बलौदाबाजार जिले में आधा दर्जन सीमेंट प्लांट हैं। यहां से देश के अलग-अलग हिस्सों में सीमेंट जाता है।
सूत्रों के मुताबिक अगले एक-दो दिनों में बाकी प्लांटों में भी सीमेंट का परिवहन बंद होने के आसार दिख रहे हैं। यहां भी परिवहन कर्ताओं ने सीमेंट का परिवहन बंद करने की रणनीति बनाई है। परिवहन कर्ताओं का तर्क है कि डीजल के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन उस अनुपात में कंपनियां भाड़ा बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है।
दूसरी तरफ, सीमेंट कंपनियों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने डीलरों को सीमेंट स्टॉक करने की सलाह दी है। क्योंकि इस बार हड़ताल खींच सकती है। इन सबकी वजह से सीमेंट की दामों में एक बार फिर वृद्धि के आसार है।
लोहे के भाव भी बढ़े
सीमेंट के अलावा लोहे की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। खुले बाजार में एक दिन में लोहे की कीमतों में 6 हजार रुपये टन की बढ़ोत्तरी हुई है। कुल मिलाकर भवन निर्माण सामग्री तेजी से बढ़ी है। कहा जा रहा है कि कोयले के दामों में बढ़ोत्तरी की वजह से लोहे के दाम बढ़े हैं। स्टील कंपनियां कोयले की किल्लत का रोना रो रही है, लेकिन सरकार का दावा है कि कोयले की कमी नहीं है।