रायपुर
कारोबार में नुकसान के बाद आबकारी की दिलचस्पी कम
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 अप्रैल। शहर में लोगों का भांग के नशे से मोह भंग होने के बाद आबकारी ने भांग बिक्री की पॉलिसी बदल दी है। नए वित्तीय वर्ष में आबकारी ने बदलाव करते हुए अब दुकानों की आवंटन नीलामी पद्धति के बजाए लाटरी सिस्टम से करने का फैसला किया है। इसकी शुरूआत रायपुर जिले से करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। जिले में भांग की पांच दुकानें है।
भांग कारोबार के मामले में अफसरों का कहना है अब लोगों की दिलचस्पी भांग से काफी कम हो गई है। शौकीया तौर पर कुछ लोग ही भांग का सेवन करते हैं। जबकि शिवरात्री और होली के मौके पर ही भांग दुकानों में भीड़ रहती है। नीलामी पद्धति में भांग दुकानों की बोली कभी लाखों रुपये ऊपर हुआ करती थी लेकिन जिस तरह से भांग के शौकीनों की संख्या घटी है बोली लगाने वालों की संख्या भी हर साल कम होती जा रही है। बोली लगाने वाले नहीं मिलने के कारण भी आबकारी ने अब दुकानों को नीलाम करने के बजाए दिचस्पी रखने वालों को सौंपने सीधे ऑन लाइन सिस्टम में शामिल करने का फैसला किया है। आबकारी की तरफ से बनाए जा रहे नए नियम के तहत निर्धारित राशि जमा करने के साथ योग्यता रखने वाले लोग दुकान हासिल कर सकेंगे।
अगर किसी दुकान के लिए एक से अधिक आवेदन पहुंचा तो यहां लाटरी पद्धति से दुकान आवंटित कर दिया जाएगा। रायपुर जिले में चिकनी मंदिर के आगे और नर्मदा पारा स्थित भांग दुकानों में कभी कभार भीड़ दिखाई पड़ती है। रेलवे स्टेशन से लगे हिस्से में लोग नर्मदापारा की भांग दुकान पहुंचते हैं। भीड़ भाड़ वाले मार्ग में दुकान होने के कारण यहां बिक्री ठीक रहती है। बाकी जगहों पर मौजूद भांग की दुकानों में बोली लगाने वालों को नुकसान वहन करना पड़ रहा है। प्रदेशभर में भांग दुकानों की बुरी हालत है।
दुकानें शो पीस
भांग दुकान का संचालन फारमेलिटी के तौर पर ही चल रहा है। ज्यादातर दुकानें अब मात्र शो पीस बनकर रह गई है। भांग कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है होली और महाशिवरात्रि में ही भांग बिक रही है। बाजार में विकल्प के तौर पर नुकसानदायक पदार्थ बेचे जा रहे हैं। ज्यादातर लोग सूखे नशे की चपेट में है इसलिए भी भांग की खपत अब ना के बराबर ही है।
दिलचस्पी घटने से सप्लाई नहीं
आबकारी विभाग ने भी भांग और भांगघोटा फुटकर दुकानों को सप्लाई देना कम कर दिया है। बता दें भांग की सप्लाई नहीं होने के बावजूद दो साल पहले 2018 में भी दुकानों को नीलाम करने आवेदन जारी किया गया था। बताया गया, 70 लाख रुपये तक की सिक्योरिटी मनी देने के बाद काउंटर मुनाफा नहीं दे सके। 50 फीसदी स्टाक ही बिक सका। आबकारी की देरी की वजह से भी मुनाफा घटा।