रायपुर
![चापड़ा चटनी, महुआ लड्डू और पेज का स्वाद लिया राजधानीवासियों ने चापड़ा चटनी, महुआ लड्डू और पेज का स्वाद लिया राजधानीवासियों ने](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1650379418.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर 19 अप्रैल। राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव के अवसर पर तीन दिवसीय हस्त कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। यहां विभिन्न विभागों और जनजातीय समूहों के 29 स्टॉल लगाए गए हैं। यहां जनजातियों के खान-पान, आभूषणों सहित उनके रहन-सहन के तरीकों को जानने लोग आकर्षित हो रहे हैं। यहां लोगों में जनजातियों की संस्कृति के प्रति उत्सुकता के साथ बस्तर की खास चापड़ा चटनी, महुआ लड्डू और पेज का स्वाद लेने की भी बहुत ललक दिखाई दे रही है। इसके साथ ही नई पीढ़ी भी सदियों पुरानी परम्परा और संस्कृति को जानने और उससे जुड़ने के लिए उत्साहित दिख रही हैं।
यहां जनजातियों की प्राचीन हस्त कला बांस कला, छिंद कला, गोदना कला, रजवार कला, शीशल कला, माटी कला और काष्ट कला का प्रदर्शन सह कलाकृतियों का विक्रय किया जा रहा है। इसके साथ ही जनजातियों के नंगाड़ा, दफड़ी, मांदर जैसे वाद्य यंत्र, ऐठी, पहुंची, खिनवा, पटा जैसे आभूषण, तुमा और खाना बनाने के प्राचीन बर्तन और औजारों, कपड़ों का प्रदर्शन भी किया गया है। छत्तीसगढ़ के जंगलों में मौजूद वनौषधियों से आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाए गए हर्बल उत्पादों के साथ विभिन्न औषधीय पौधों का प्रदर्शन भी प्रदर्शनी में किया गया है। कोसा कला की नायाब कारीगरी भी प्रदर्शनी में दिखाई दी है।
जनजाति व्यंजनों के स्वाद ने लोगों का मोहा मन
बस्तर से आए बालमती बघेल, शांता नाग और गंगाराम कश्यप ने अपने स्टॉल में राजधानी रायपुर में लोगों को जंगल के खान-पान के स्वाद से परिचय करा रहे हैं। यहां पुरानी के साथ नई पीढ़ी भी बस्तरिया डोडा (भोजन) के प्रति आकर्षित दिखाई दे रहा है। यहां लांदा, माड़िया पेज, तीखुर का शर्बत, चापड़ा चटनी, महुआ लड्डू का लोगों ने खूब स्वाद लिया और तारीफ की। इसके साथ ही गढ़ कलेवा के स्टॉल में छत्तीसगढ़िया व्यंजन ठेठरी, अनरसा, पिड़िया, लाडू जैसे स्वाद के खजाने रखे गए हैं।