गरियाबंद
तीन दिन पहले गरियाबंद के जंगल में पहुंची थी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबन्द, 20 अप्रैल। धमतरी जिले के नगरी सिहावा क्षेत्र में 8 दिन पूर्व उत्पात मचाते हुए एक मासूम सहित पांच ग्रामीणों को मारने वाली जंगली मादा हाथी की मौत गरियाबन्द वनमण्डल के धवलपुर परिक्षेत्र के पंडरीपानी में हो गई। यह हाथी तीन दिन पूर्व नेशनल हाइवे-130 सी मैनपुर गरियाबंद को पार कर सिकासार जलाशय में दो दिनों से डेरा डाली हुई थी और सोमवार की देर शाम उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व कुल्हाड़ीघाट वन परिक्षेत्र के ओड़ आमामोरा की तरफ रूख की थी, लेकिन सुबह फिर एक बार सिकासार जलाशय पहुंची थी, उसकी दोपहर में अचानक मौत हो गई।
मादा हाथी की मौत की खबर लगते ही पूरे वन विभाग में हडक़ंप मच गया। हाथी के मौत खबर लगने के बाद मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी एवं गरियाबंद मंडालाधिकारी व विभाग के अफसर स्थानीय अधिकारी कर्मचारी देर रात तक घटना स्थल पर डटे रहे, यह क्षेत्र काफी संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को धमतरी की ओर से मादा हाथी पहुंची थी, तीन दिनों से उसका विचरण गरियाबन्द वनमण्डल के धवलपुर परिक्षेत्र के पंडरीपानी में था। हाथी की निगरानी हाथी मित्र एवं वनकर्मियों द्वारा किया जा रहा था। मंगलवार को दोपहर लगभग 12.30 बजे मादा हाथी सिकासेर डुबान क्षेत्र के झाडिय़ों में बैठी थी। इसकी सूचना हाथी मित्रों ने वरिष्ठ अधिकारियों को दी।
सूचना पर उप वनमंडलाधिकारी गरियाबंद एवं पशु चिकित्सक मौके पर पहुँचे एवं निरीक्षण पर मादा हाथी उम्र लगभग 35 वर्ष मृत अवस्था में मिली। इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई।
पशु चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा, डॉ. पंचभाई एवं डॉ. जोशी घटना स्थल पहुंचकर मृत हथिनी का परीक्षण किया गया। प्राथमिक परीक्षण में हथिनी की मृत्यु मूत्राशय एरिया में अत्यधिक संक्रमण से होना पाया है।
शव परीक्षण के दौरान मुख्य वनसंरक्षक (वन्य प्राणी) पैकरा, वन मंडलाधिकारी गरियाबन्द मयंक अग्रवाल उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उप संचालक वरुण जैन, पशु चिकित्सक गण, उपवनमण्डल अधिकारी मनोज चन्द्राकर, राजेन्द्र सोरी, सहायक संचालक उदंती एस एस नाविक, परिक्षेत्र अधिकारी, वन कर्मी एवं हाथी मित्र दल सदस्य मौजूद थे। शाम हो जाने के कारण शव परीक्षण कर दफनाया गया।