गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा राजिम, 20 अप्रैल। ग्राम आलेखुटा वि.ख. अभनपुर में पिछले दिनों जन जागृति मंच के तत्वाधान में बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम पांच ग्राम पंचायत ग्राम हसदा, चैतरा, घोंट, उमरपोटी के महिला-पुरुषों की उपस्थिति में कार्यक्रम का शुभारंभ अंबेडकरजी की छायाचित्र की पूजा-अर्चना व पुष्प अर्पित कर किया गया।
इस अवसर पर जन जागृति मंच की अध्यक्ष अजीत एक्का के द्वारा आए हुए सभी साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारतीय संविधान के शिल्पकार,भारत रत्न, सिम्बल ऑफ नालेज अंबेडकरजी कि जयंती में हम सब साथी उन्हें सादर नमन करते हंै। 14 अप्रैल 1891 को महू में सूबेदार रामजी सकपाल एवं भीमाबाई की 14वीं संतान के रूप में हुआ था उसके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, बुद्धिमता, ईमानदारी, सच्चाई, नियमित तथा प्रचंड समा संग्रामी स्वभाव का मेल था। उनकी यह अद्वितीय प्रतिभा अनुकरणीय है। वह एक योद्धा, नायक, विद्वान, दार्शनिक, वैज्ञानिक, समाजसेवी एवं धैर्यवान व्यक्ति के धनी थे जिन्होंने अपना समस्त जीवन समग्र भारत की कल्याण कामना में उत्सर्ग कर दिया खासकर भारत के 80 फीसदी दलित सामाजिक व आर्थिक तौर से अभिशप्त थे उन्हें अभिशॉप से मुक्ति दिलाना ही डॉ. अंबेडकर का जीवन संकल्प था।
महिला समूह एवं विहान योजना की सक्रिय महिलओं ने भीअंबेडकर जी को स्मरण करते हुए उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय योगदान पर प्रकाश डाला।
सरपंच हेमंत सिन्हा ने कहा कि उनका पूरा जीवन संघर्षरत रहा है। उन्होंने भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। बाबा साहेब ने कमजोर और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया। डॉ. अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता थे। अंबेडकर जी समाज के कमजोर, मजदूर, महिलाओं आदि को शिक्षा के जरिए सशक्त बनाना चाहते थे। इसी कारण डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है, कार्यक्रम में प्रिंस, नीरज, रतन सुरित, देवेंद्री, रधिया, चन्दन ध्रुव के अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।