रायपुर
![कन्नड़, तमिल, तेलुगु भाषाएं निकली हैं गोंडी से, इसे भी राजभाषा का दर्जा मिले कन्नड़, तमिल, तेलुगु भाषाएं निकली हैं गोंडी से, इसे भी राजभाषा का दर्जा मिले](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/16504575644.jpg)
रायपुर, 20 अप्रैल। राजधानी में चल रहे राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव में देश के विभिन्न भागों से आए शोधार्थियों ने ’’जनजातीय साहित्य: भाषा विज्ञान एवं अनुवाद, जनजातीय साहित्य में जनजातीय अस्मिता एवं जनजातीय साहित्य में जनजातीय जीवन का चित्रण’’ विषय पर अपने शोध पत्र पढ़े। शोधार्थियों ने जनजातियों की भाषा, संस्कृति के मानकीकरण और संरक्षित करने की आवश्यकता जतायी तथा भाषा-संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
कुरूख, गोंड़ी, कोता, इरूला भाषाएं विनाश के तट पर-डॉ. मैत्री
डॉ. के.एम. मैत्री ने गोंडी भाषा लिपियों के मानकीकरण में आधारभूत व्याख्यान देते हुए कहा कि गोंडी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराए जाने की और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा-कुछ गोंडी विद्वानों का मत है कि गोंडी देश की सबसे पुरातन भाषा है और द्रविड़ भाषाओं की जननी है। इस में कन्नड़, तेलगू, तमिल, मलयालम ये भाषाएं भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित है, जबकि ब्राहुई, माल्तो, कुरूख, गोंडी, परजी, मुंडा, पेंगो, कुई, कुवि, कोंड, गदबा, नाइकी, बडग, तोडा, तुलू, कोडवा, कोता, इरूला ये बोली भाषाएं 8वीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं हुई है। इनमें बहुत सारे भाषाएं विनाश के तट पर है।
डॉ. के.एम. मैत्री ने बताया कि गोंडी भाषा से कई राजभाषाएं निकली हुई हैं और उन पर आधारित कई राज्यों का निर्माण भी हुआ है, जिसमें कन्नड़, तमिल, तेलगू इत्यादि प्रमुख है। इन राज्यों में भी गोंडी बोली जाती है, जिन पर क्षेत्र का भी प्रभाव दिखता है। यह अच्छी बात है गोंडी भाषा की डिक्शनरी बनाने का प्रयास हुआ है। साथ ही ऐसी डिक्शनरी बनाने की आवश्यकता है।
12 साल से आदिवासियों को जंगल ही जीवन का संदेश दे रहे चंद्रैया
सकिनी राम चंद्रया-तेलंगाना भंद्राद्री जिले के कोत्तागुड़म के इलाबेल आदिवासी परिवार में जन्मे है।
बचपन से आभाव और आदिवासी जीवन शैली में जीवन व्यापन करते आए बहुत ही कठिन परिस्थितियों का सामना किया। समाज में आदिवासियों को सम्मान दिलाने की लड़ाई में संघर्ष करते आए है । जिन्होंने अपने लेख के मध्य से तेलंगाना सरकार के सामने आदिवासियों के हित में प्रयास करते रहे । जिनके अथक प्रयासों और उत्कृष्ट कार्यों के लिए 64 वर्ष की उम्र में साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया है। तेलंगाना सरकार आदिवासियों के हित में कार्य करती हुई दिख रही है उनके प्रयासों का फल है की आज तेलंगाना में सरकार आदिवासियों के बारे में सोच रही है छत्तीसगढ़ राज्य जनजातीय साहित्यकार महोत्सव में विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मान किया गया तीन दिवसीय कार्यक्रम में साहित्यकारों के विचारों को सुनने और समझने का अवसर मिला पता चला कि छत्तीसगढ़ में सरकार आदिवासियों के हित के लिए बहुत सारी योजनाएं लाकर उन्हें लाभ पहुंचाने का कार्य कर रही है ऐसा ही तेलंगाना की सरकार प्रयास में है
तोंगपाल में शिक्षा और विकास की बात करना भी गलत है
शिक्षक बामन राम कश्यप नक्सली प्रभाव क्षेत्र इलाके तोंगपाल के बालक आश्रम में बच्चों को शिक्षा से जोडऩे का काम कर रहे है । स्ड्डठ्ठ 2002 से जुड़े है जहा शिक्षा और विकास की बात करना भी गलत माना जाता है। आए दिन नक्सलियों का दबाव गांव वासियों पर रहता है । जो हमेशा से शिक्षा और विकास के विरोधी रहे है ।
बामन राम बताते है की जंगल में रहने वाले आदिवासी समुदाय को समाज के मुख्य धारा से जोडऩा शुरूवाती दौर में बहुत ही मुश्किल काम रहा । ऐसे आदिवासी जिनका रहन सहन आम लोगों से अलग है ।इन जनजातियों का रितिरिवाज और समुदाय से जुड़ी तथ्यों से अवगत कराना आदिवासी बच्चों को शिक्षा से जोडऩे का काम कर रहे है शासन प्रशासन ने आदिवासियों पर लिखे लेख की सराहना करते हुए समाज उत्थान के लिए सहयोग करते रहे है।