रायपुर
![मनरेगा में कर्मियों के नियमितिकरण से कोई वित्तीय बोझ नहीं, सीएम हस्तक्षेप करें मनरेगा में कर्मियों के नियमितिकरण से कोई वित्तीय बोझ नहीं, सीएम हस्तक्षेप करें](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/16504600717-manrega.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 अप्रैल। छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संध के प्रांतीय अध्यक्ष विजय कुमार झा ने धरना स्थल पर प्रदेश के ग्राम रोजगार सहायकों द्वारा 04 अप्रैल से जारी अनिश्चितकालिन आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए कहा है कि प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध आपके आंदोलन का समर्थन करता है।
प्रदेश के हजारों युवाशक्ति के मनरेगा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना वर्ष 2006 में कार्य करने तथा उनके नियमितिकरण हेतु सीएम भूपेश बधेल से हस्तक्षेप की मांग करते हुए बताया है कि इस योजना में विगत् 03 वित्तीय वर्ष में योजनामद् में प्राप्त हजारों करोंड़ों रूपये केन्द्र सरकार द्वारा आबंटित राशि का उपयोग छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा न किए जाने के कारण वापस लौटाया गया है।
केन्द्र सरकार से प्राप्त राशि का सही उपयोग होने से ग्रामीण युवाओं को रोजगार की गारंट के साथ ही साथ मनरेगा में वर्षो से कार्यरत् संविदा, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को रिक्त पदो के विरूद्व समान काम समान वेतन के तहत नियमित भी किया जाने का तर्क व सुझाव प्रस्तुत किया है। केन्द्र सरकार द्वारा मनरेगा मद के कुल प्रदत्त राशि का 6 प्रतिशत् आकस्मिक निधि से वेतन भुगतान किया जाता है, किंतु प्रदेश में मात्र 3 प्रतिशत् ही बट रही है, जिससे मनरेगा में कार्यरत् अनियमित कर्मचारियों को नियमित किया जा सकता है।
सरकार को कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। संध ने दस्तावेजी साक्ष्य के साथ तर्क प्रस्तुत किया है, कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में 5956.57 लाख रूपये, 2017-18 में 8554.08 लाख रूपये, 2017-18 में 4320.87 लाख रूपये केन्द्र सरकार को शेष बचने के कारण लौटाया गया। मनरेगा में 360 पद संविदा के स्वीकृत है, जिसमें से वर्तमान् में 280 पद भरे हुए है। जिसमें 650.94 लाख व्यय होता है। इन्हें नियमित किए जाने पर 1051.52 लाख व्यय होगा, इस प्रकार 400.57 लाख अतिरिक्त व्यय होगा। इससे कई गुना राशि गत् 03 वर्ष के आकड़ों के आधार पर प्रतिवर्ष लेप्स हुई है।
केवल इस योजना का नाम महात्मागांधी के नाम पर था, इसलिए इस योजना को बंद करने व नाम बदलने की कार्यवाही केन्द्र सरकार द्वारा की गई है। ग्राम पंचायत स्तर पर कुल 10862 रोजगार सहायक का पद मानदेय पर स्वीकृत है, जिन्हें वर्तमान् में 5 वर्ष से कम सेवा करने वाले रोजगार सहायकों को प्रतिामह 5000/-रू.मानदेय एवं 5 वर्ष से अधिक सेवा वाले ग्राम रोजगार सहायक को प्रतिमाह 6000/-रू. भुगतान किया जाता है। वर्तमान् में 8720 ग्राम रोजगार सहायक के पद भरे हुए है। इसी प्रकार जनपद स्तर पर कुल 3872 पद संविदा के स्वीकृत है, जिसमें वर्तमान् में 3077 पद भरे हुए है। मनरेंगा का मूल उदेश्य ग्रामीण ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत् परिवारों की आजीविका को सुरक्षा प्रदान करते हुए स्थायी परिसम्पत्तियों का सृजन करना है। ऐसे ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य जो अकुशल शारीरिक श्रम करने को तैयार है, उनके द्वारा आवेदन पत्र प्रस्तुत किए जाने के 15 दिवस के भीतर रोजगार उपलब्ध कराना तथा 15 दिवस के भीतर मजदूरी भुगतान पाने का हकदार है। ऐसे परिवार को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बधेल से संध ने हस्ताक्षेप कर केन्द्र सरकार से प्राप्त राशि का पूर्णरूपेण उपयोग किया जाना मनेरगा में सुनिश्चित कराने के साथ ही गत् 03 वर्ष के राशि का उपयोग न होने संबंधी तथ्य की विस्तृत जॉच कराने की मांग की है। ताकि ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा को ग्रामजनों के हित में संचालित करते हुए, इस योजना में वर्षो से कार्यरत् संविदा, दैनिक व आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों को जन धोषणा पत्र में किए गये वादे के अनुरूप नियमित किये जाने की मांग मुख्यमंत्री से की है।
संध के प्रांतीय अध्यक्ष विजय कुमार झा, जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खॉन, तथा मनरेगा तकनकी सहायक कर्मचारी संध प्रांताध्यक्ष ईश्तहाक सिद्वकी ने बताया है कि छत्तीसगढ़ राज्य में नियमितिकरण किया जा सकेगा। ऐसा करने से मुख्यमंत्री जी का ‘नरवा‘‘ ‘‘गरवा‘‘ ‘‘धुरूवा‘‘ एवं ‘‘बारी‘‘ यही हे हमर संगवारी की योजना सफल होगी।