कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 22 अप्रैल। स्थानीय समस्याओं को लेकर सीपीआई कोण्डागांव ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करके ज्ञापन सौंपा।
इस सम्बन्ध में सीपीआई जिला कोण्डागांव के जिला सचिव तिलक पाण्डे ने बताया कि, सीपीआई जिला कोण्डागांव के कम्युनिस्टों द्वारा आमजनों, किसानों, मजदूरों की समस्याओं के समाधान हेतु निरंतर जन आंदोलन किए जा रहे हैं। इसी क्रम में 20 अप्रैल को भी एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करके राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर कार्यालय में पहुंचकर डिप्टी कलेक्टर कोण्डागांव को सौंपा गया।
उन्होंने बताया कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2005 पूरे देश में एक साथ लागू हुए तेरह वर्ष से भी अधिक का समय होने के बावजूद वास्तविक हकदार किसानों को वन अधिकार कानून का लाभ आज तक नहीं मिल पा रहा है, वहीं शासन द्वारा गांवों का सीमांकन भी ग्रामीणों से बिना चर्चा किए जाने और पुराने राजस्व व वन विभाग द्वारा जारी नक्शे को नजरअंदाज कर गांवों की सीमाओं का सीमांकन किए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद की गंभीर स्थिति निर्मित हो गई है।
ऐसे में यदि समय रहते शासन-प्रशासन द्वारा उचित कार्रवाई नहीं किया गया तो भविष्य में अप्रिय घटना घटित होने की संभावना बनी हुई है। इसके तहत शासन-प्रशासन द्वारा भी वनाधिकार प्रपत्र दिए जाने में दोहरी नीति अपनायी जा रही है। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव 2017-18 के दौरान अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के ऐसे नागरिकों को जो शासकीय भुमि पर मकान बनाकर कई वर्षों से निवासरत है।
उपरोक्त भूमि का नि:शुल्क पट्टा दिए जाने की घोषणा किया गया था। परन्तु वर्तमान में कांग्रेस सरकार शासकीय भूमि का पट्टा ऐसे लोगों को प्रदाय कर रही है। जो आर्थिक रूप से सक्षम है और जो शासन द्वारा निर्धारित मूल्य अदा करने में समर्थ हैं। वास्तविक हकदार व्यक्तियों को कांग्रेस सरकार द्वारा मकान पट्टा प्रदाय नहीं किया जा रहा है।