रायपुर
जिले में आबकारी विभाग पहले से ज्यादा सख्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 अप्रैल। शहर में शराब बिक्री के दौरान ओवर रेट करने वालों पर कड़ाई के बाद प्लेसमेंट कंपनी में हडक़ंप का माहौल बना हुआ है खासकर से कर्मचारियों के नौकरियां छोडऩे की स्थिति में व्यवस्था अब गड़बड़ाने लगी है। कर्मचारियों की तंगी के बीच दुकानों में तैनात सुरक्षा गार्डों से काम लिया जा रहा है।
आबकारी विभाग ओवर रेट के मामले में पहले से और ज्यादा सख्त है। इसके पहले लखौली में गबन और फिर आरंग शराब दुकान में बड़ी चोरी के बाद से विभाग ने प्लेसमेंट कंपनी के नियुक्त ज्यादातर फील्ड अफसरों को बिठा दिया है। प्लेसमेंट कंपनी व्यवस्था संभालने पूर्व में जो सेटअप बनाया है आबकारी ने उसमें पूरी तरह से बदलाव कर दिया है। शराब दुकानों में ओवर रेट पर लगाम कसे जाने के बाद से ज्यादातर दुकानों में कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी है या फिर उन्हें किसी कारण से कंपनी ने हटा दिया है।
कर्मचारियों की संख्या घटने के बाद जरूर दोबारा कैंप लगाकर कर्मचारी बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं। पिछले हफ्ते कैंप का आयोजन कर दर्जनभर कर्मचारियों की भर्ती की गई है। अब दुकानों में नए चेहरों के आने के बाद उनकी गतिविधियों पर चौकसी के साथ शराब बिक्री करने कहा जा रहा है। गौरतलब है कि तीन साल पहले जिले में शराब बिक्री के लिए प्लेसमेंट कंपनी एटूजेड ने लगभग 500 कर्मचारियों की भर्ती की थी। आज की स्थिति में कर्मचारियों की संख्या 250 से 300 के बीच रह गई है। इसमें कभी कर्मचारी घट रहे तो कभी नए के आने के बाद उनकी संख्या बढ़ रही है। कर्मचारियों के अंदर-बाहर के चलते फिलहाल व्यवस्था प्रभावित है।
दुकानों में घटती से चिंता
शराब दुकानों में इन दिनों घटती की चिंता सबसे ज्यादा है। एक करीबी सूत्र का दावा है दुकानों में ऑडिट होने के बाद लगभग 70 फीसदी दुकानों में बिक्री की राशि में अंतर बताए जाने पर आबकारी कंपनी से रकम वसूल कर रहा। दरअसल बाहर की बेगारी दूर करने के साथ अपने खर्चे के लिए ओवर रेट वसूल करने की परंपरा है लेकिन जिला आबकारी उपायुक्त अनिमेष नेताम के सख्त निर्देश के बाद अब सर्किल अफसर भी कर्मचारियों पर हावी है।
अभी गबन से राहत
दो साल पहले जिले में जिस तरह से दुकानों में गबन के मामले सामने आए थे फिलहाल इस बार आबकारी के लिए राहत है। 5 लाख से लेकर 16 लाख रुपये तक की गड़बडिय़ां बाहर आई थी लेकिन इसके बाद आबकारी ने कड़ा रूख अपनाते हुए कई कर्मचारियों पर सीधे एफआईआर दर्ज कराया। इसके बाद गबन के मामले में अंकूश लगाया जा सका। पिछले छह से आठ महीने में लखौली छोड़ किसी दुकान से बड़ा मामला सामने नहीं आया है।