रायपुर

भारत में अनौपचारिक क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की स्थिति पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन
26-Apr-2022 8:19 AM
 भारत में अनौपचारिक क्षेत्रों में महिला श्रमिकों  की स्थिति पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

रायपुर, 25 अप्रैल।  कला एवं मानविकी संकाय की निर्देशन में अर्थशास्त्र विभाग ने भारत में अनौपचारिक क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की स्थिति पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। वेबीनार का आयोजन डॉ. शिल्पी भट्टाचार्य, डीन कला और मानविकी संकाय के कुशल निर्देशन में हुआ वेबीनार के मुख्य वक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह मतसनिया, सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) थे।

वेबीनार की शुरूआत अर्थशास्त्र विभाग की सहायक प्राध्यापक और वेबीनार की आयोजक डॉ. नम्रता श्रीवास्तव द्वारा सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों के स्वागत के साथ हुई। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती अनुरिमा दास, सहायक प्राध्यापक अंग्रेजी विभाग एवं वेबीनार की सह-संयोजक ने किया।

वेबीनार के वक्ता डॉ. मतसनिया ने आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान विषय पर जानकारीपूर्ण एवं विचारोत्तेजक ज्ञान देकर अपना व्याख्यान दिया। साथ ही डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नारी संबंधी विचार मैं एक समुदाय की प्रगति को महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति के स्तर से मापता हूं पर अपने विचार प्रस्तुत किये।

साथ ही उन्होंने देशमें महिला मजदूरों की स्थिति में सुधार हेतु सुझाव प्रस्तुत किए कि सरकार को महिलाओं की शिक्षा नि:शुल्क करना चाहीए, महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक आयोजन होना चाहीए और आयोग की अध्यक्ष एक महिला होना चाहीए। साथ ही रूढ़ीवादी सोच को खत्म करने की बात भी की।

डॉ. मतसनिया ने कहा कि भारत में श्रमिकों के रूप में महिलाओं की भागीदारी को लेकर एक गंभीर न्यूनानुमान हैं। हालांकि पारिश्रमिक पाने वाले महिला श्रमिकों की संख्या पुरूषों की तुलना में बहुत ही कम है। भारत के शहरी क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की एक बड़ी संख्या मौजूद है।

उदाहरण के तौर पर सॉफ्टवेयर उद्योग में 30 प्रतिशत कर्मचारी महिलाएं हैं वे पारिश्रमिक और कार्यस्थल पर अपनी स्थिति के मामले में अपने पुरूष सहकर्मियों के साथ बराबरी पर हैं। परंतु भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल महिला श्रमिकों को अधिक से अधिक 89.5 प्रतिशत तक को रोजगार दिया जाता है।

 कुल कृषि उत्पादन में महिलाओं की औसत भागीदारी का अनमान कुल श्रम का 55 प्रतिशत से 66 प्रतिशत तक है।

वन आधारित लघु स्तरीय उद्योगों में महिलाओं की संख्या कुल कार्यरत श्रमिकों का 51 प्रतिशत है। विभिन्न आंकड़ों का दर्शाते हुए डॉ. मतसनिया ने कहा कि वैसे ही आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति दशा एवं दिशा दयनीय है और कोरोना काल की गाज भी इन्हीं पर अत्यधिक गिरी। कई महिला लघु उद्योग बंद कर दिए गए कई ग्रामीण महिलाएं जिन कंपनियों में कार्यरत थी वे कंपनियाँ बंद हो गई। बड़े स्तर पर ग्रामीण महिलाएं बेरोजगार हो गई।

डॉ. मतसनिया ने ध्यान आकर्षित करते हुए कहा ऐसी स्थिति में आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की दशा सुधारने हेतु सरकार को अहम भूमिका निभाना अत्यंत आवश्यक है। वेबीनार के मुख्य वक्ता डॉ. मतसनिया ने इस प्रकार भारत में अनौपचारिक क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की स्थिति विषय पर जानकारीपूर्ण और विचारोत्तेजक ज्ञान देकर अपना व्याख्यान दिया। पॉवर पाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से उन्होंने आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की स्थिति एवं आंकड़ों की चर्चा की।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. नम्रता श्रीवास्तव ने आभार प्रदर्शन किया। इस आयोजन में कलिंगा विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी संकाय के समस्त प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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