रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26अप्रैल। राज्य के गृह पुलिस विभाग द्वारा धरना, प्रदर्शन, रैली, जुलूस, धार्मिक राजनैतिक आयोजनों का आयोजन बिना जिला दण्डाधिकारी के पूर्व अनुमति के प्रतिबंधित किए जाने संबंधी निर्देश जारी किया गया है। इसके फलस्वरूप 19 बिन्दुओं की जानकारी, शपथपत्र व जानकारी मांगे जाने के निर्देश प्रदेश के समस्त जिला दण्डाधिकारियों को जारी किया गया है। यह आदेश राज्य निर्माण के बाद लोकतंत्र में संवैधानिक मौलिक अधिकारियों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराधात् है। राज्य शासन ने ‘‘न नौ मन तेल होगी-न राधा नाचेगी‘‘ की उक्ति को चरितार्थ करते हुए, जो व्यवस्था बनाई है, उसमें धरना, प्रदर्शन, रैली किया जाना असंभव हो गया है। बिना प्रशासन के अनुमति लिए ऐसा किया जाना अपराध की श्रेणी में आवेगा। इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि प्रदर्शन धरना शासन-प्रशासन की मर्जी पर निर्भर करेगा। जिसे देना होगा उसे ही दिया जावेगा। जिसे नहीं दिया जाना होगा, उसके अनुमति के आवेदन को निरस्त कर दिया जावेगा।
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध के प्रदेशाध्यक्ष विजय कुमार झा एवं जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खॉन ने कहा कि राज्य बनने के बाद शायद पहली बार धरना प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए कड़ी व्यवस्था की गई है। यह छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री व उनकी सरकार को बदनाम करने की सोची समझी चाल है।
झा ने कहा कि पूर्ववर्ती लाठी गोली की सरकार से सबक न सिखना अधिकारियों की योजना वर्तमान् सरकार को बदनाम करने की योजना प्रतीत होती है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश से की जायेगी। संघ के कार्यकारी अध्यक्ष अजय तिवारी, महामंत्री उमेश मुदलियार, संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा, रामचंद्र ताण्डी, नरेश वाढ़ेर, सुरेन्द्र त्रिपाठी, विमलचंद्र कुण्डू, रविराज पिल्ले, आलोक जाधव, टार्जन गुप्ता, प्रवीण ढिढवंशी, गोपाल प्रसाद साहू, रवि गड़पाले, बजरंग मिश्रा, पद्मेश शर्मा, संजय कुमार, युगल तिवारी, संजय सक्सेना, राज कुमार अवस्थी, डी.एल.चौधरी, मनरेगा अध्यक्ष ईश्तहाक सिद्वकी, विद्युत संविदा कर्मचारी संध अध्यक्ष विवेक भगत, राज कुमार देशलहरे, रविकांत डोए, प्रकाश ठाकुर, आदि ने तत्काल संवैधानिक मौलिक अधिकार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करने वाले उक्त निर्देश को वापस लेने की मांग गृहमंत्री से की है।
छत्तीसगढ़ में इमरजेंसी-रमन सिंह
रायपुर, 26अप्रैल। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस पाबंदी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की वादाखिलाफी के कारण बढ़ते जन आक्रोश, किसान आंदोलन और कर्मचारियों के लोकतांत्रिक प्रदर्शन से इतने भयभीत हो गए हैं कि राज्य में आपातकाल जैसी बंदिश लगा दी है। उनहोनें कहा कि सरकार ने अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का वादा पूरा करने की बजाय उन पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज कराने के साथ ही नया रायपुर में आंदोलन कर रहे किसानों का पंडाल भी उखाड़ कर फेंक दिया। मतलब यही है कि सरकार कांग्रेस के चरित्र के मुताबिक वही कृत्य छत्तीसगढ़ में कर रही है जो इंदिरा गांधी ने देश में किया था।
भूपेश बघेल कांग्रेस की अलोकतांत्रिक संस्कृति के प्रतीक बनकर सामने आए हैं। विरोध के स्वर तो उन्हें पहले भी स्वीकार नहीं थे लेकिन अब तो बढ़ते विरोध के कारण जब उन्हें कोई रास्ता दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने छत्तीसगढ़ पर आपातकाल थोपने की कोशिश की है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
रमन सिंह ने कहा कि भूपेश बघेल समझ चुके हैं कि अब उनकी चालबाजी से त्रस्त किसान, जनता और कर्मचारी खुलकर उनके विरोध में खड़े हो गए हैं तो उन्होंने दमनकारी नीतियों का खुलकर सहारा लेना शुरू किया है। भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित करने के लिए पुलिस का सहारा लिया है। अब भूपेश बघेल सरकार का विरोध करने के लिए उस प्रशासन से अनुमति लेनी होगी जो भूपेश बघेल के इशारे पर उठक बैठक कर रहा है। क्या यह संभव है कि भूपेश सरकार का प्रशासन भूपेश बघेल की नीतियों के खिलाफ धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रैली की अनुमति देगा। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार के तानाशाही आदेश के खिलाफ भाजपा न्यायालय जाएगी और प्रदेश की जनता, किसानों तथा प्रदेश के हित में काम कर रहे कर्मचारियों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित किए जाने के विरुद्ध संघर्ष करेगी। भाजपा भूपेश बघेल सरकार के अलोकतांत्रिक फैसले के विरुद्ध सडक़ से लेकर हर उचित मंच पर न्याय के लिए जनता, किसान और कर्मचारियों के साथ है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार का अंत नजदीक आता जा रहा है। वह जनता की उम्मीदों पर पूरी तरह विफल साबित हुए हैं इसलिए उनके विरुद्ध राज्य में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से वह आपा खो बैठे हैं। यदि भूपेश बघेल ने 3 साल में जनता के हर वर्ग से वादाखिलाफी नहीं की होती तो आज उन्हें डर कर पुलिस को आगे नहीं करना पड़ता।
यूपी में यह प्रतिबंध लोकतांत्रिक-ठाकुर
रायपुर, 26अप्रैल। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह बताएं जो नियम उत्तर प्रदेश में लागू हो तो प्रजातान्त्रिक हो सकता है वही छत्तीसगढ़ में अलोकतांत्रिक कैसे हो गया? यूपी में तो धार्मिक आयोजन धरना प्रदर्शन जुलूस ध्वनि यंत्रों का इस्तेमाल के लिए प्रशासन से अनुमति अनिवार्य किया गया है अगर वही व्यवस्था छत्तीसगढ़ में लागू की गई है तो विरोध किस बात का है ? उन्होनें ने कहा कि सच्चाई यह है कि भाजपा के पास छत्तीसगढ़ में मुद्दा नहीं है जिसको लेकर जनता के बीच जाए आंदोलन और प्रदर्शन करें।
इसलिए भाजपा पहले अपने संप्रदायिकता की मानसिकता को सामने कर राजनीतिक कोशिश की लेकिन असफल रही। धर्म से धर्म को लड़ा कर जाति से जाति को लड़ा कर भेदभाव की राजनीति करने का षड्यंत्र किया गया। उसमें भी असफल रहे अब भाजपा के धरना प्रदर्शन में भाजपा के कार्यकर्ता ही नहीं जाते भाजपा को पैसा देकर भी लाना पड़ता है। ऐसे में जिला प्रशासन के अनुमति के पत्रक में उन्हें धरना में शामिल लोगों का नाम देना है क्योंकि भाजपा जो भी बुलाती है वह भाजपा से जुड़े लोग नहीं होते हैं और उनका नाम भाजपा के पास नहीं होता है इसलिए भाजपा इस विषय का विरोध कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि धरना प्रदर्शन जुलूस रैली में हथियारों के प्रदर्शन और ध्वनि यंत्रों के आवाजों के चलते जनता परेशान होती है बड़ेे बुजुर्ग और छोटे बच्चों में इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। जिसकी लगातार शिकायत मिलते रही है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी ध्वनि यंत्रों को लेकर क?ाई से तय मापदंडों का पालन कराने का निर्देश दिया है ऐसे में भाजपा विरोध कर माननीय न्यायालय के आदेशों की अवहेलना तो कर ही रही है साथ ही जनता की परेशानियों को भी बढ़ा रही है