रायपुर

लाशों की शिनाख्त नहीं, और कब्रिस्तान में जगह नहीं
28-Apr-2022 5:36 PM
लाशों की शिनाख्त नहीं, और कब्रिस्तान में जगह नहीं

जोरा स्थित पुलिस कब्रिस्तान में हर दिन औसतन दो लाशों का कफन-दफन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 अप्रैल।
पुलिस अज्ञात लाशों का कफन दफन जोरा कब्रिस्तान में करती है। आए दिन मामले होने की वजह से अब यहां कब्र के लिए फिर से जगह की कमी होने लगी है। औसतन हर दिन दो लाशों का कफन-दफन किया जा रहा है। जिला पुलिस अज्ञात लाशों की शिनाख्ती के मामले में काफी पिछड़ गई है। मालूम हुआ है स्वयं सेवी संस्था ने ही लॉक डाउन के वक्त से लेकर अभी तक 250 से ज्यादा अज्ञात लाशों का कफन दफन कब्रिस्तान में किया है। बता दें इनमें से किसी एक प्रकरण में भी किसी भी लाश की पहचान नहीं हो पाई है।

अज्ञात शवों के मामले में हुलिए के आधार पर भी उनके परिजन या फिर परिचित नहीं मिल सके हैं। अज्ञात लाशों के मामलों में मर्ग कायम रहने के बाद भी ज्यादातर फाइलें अब बंद होने लगी है। मौदहापारा चौकी की तरफ से अज्ञात लाशों के मामले में मर्ग कायम है। बता दें कई संवेदनशील जगहों में से अज्ञात शव बरामद  हुए हैं। कुछ मामलों में परिस्थितियों के आधार पर संदेह भी जताया गया है लेकिन वारिसान नहीं मिल पाने के कारण में जांच की कडिय़ां आगे नहीं बढ़ सकी है। रेलवे स्टेशन के आसपास व फूटपाथ से पुलिस ने ज्यादातर शव बरामद किए हैं। उनकी मौत सामान्य बताई गई है, लेकिन परिजनों का पता नहीं चल पाने के कारण स्वंय सेवी संस्थान की ओर से लाशों का कफन-दफन करा दिया गया है।

अज्ञात मामलों में क्लू नहीं
अज्ञात लोगों की मौत के मामले में पुलिसियां जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही है। परिजनों की खोजबीन का मामला भी ठंडे बस्ते में है ऐसे में गुमनाम लाशों के बारे में और कोई जानकारी जुटाने की कवायद लगभग बंद ही है। परिजनों के मिल जाने और संदेह जताने की स्थिति में जिला प्रशासन से अनुमति लेकर कब्र खुदवाया जा सकता है। हाल के ढाई से तीन सालों में कभी भी ऐसा मौका नहीं मिला जब कब्रिस्तान जाकर कब्र खोदना पड़ा हो।

फंड लेकिन खर्च में राहत नहीं
पुलिस मुख्यालय की ओर से अज्ञात लाशों के कफन दफन के लिए फंड निर्धारित तो कर दिया गया है लेकिन यह राशि नहीं मिल पाने के कारण चौकी पुलिस तंगहाली में गुजारा करने को मजबूर हैं। अज्ञात लाश के कफन दफन के लिए दो हजार रुपये का प्रावधान किया गया है लेकिन मौदहापारा चौकी स्टाफ की मानें तो उन्हें राशि नहीं मिल पा रही है। यही कारण है कि ज्यादातर मामलों को स्वयं सेवी संस्था को सौंपा जा रहा है।
 

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