रायपुर
![गढ़ कलेवा में 1 मई से ‘बोरे बासी’ थाली का शुभारंभ गढ़ कलेवा में 1 मई से ‘बोरे बासी’ थाली का शुभारंभ](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/165124593400.jpg)
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य और सांस्कृतिक महत्ता के दृष्टिकोण से लोगों को ‘बोरे बासी’ खाने किया है आव्हान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 अप्रैल। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 01 मई को मजदूर दिवस को बोरे बासी के स्वास्थ्य और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए लोगों को बासी खाने अपील की है।
मुख्यमंत्री के आव्हान पर संस्कृति विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मजदूर दिवस के अवसर पर गढ़ कलेवा में 01 मई से ‘बोरे बासी थाली’ का शुभारंभ करने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बोरे बासी रात में पके हुए चावल को रातभर पानी में भिगोकर सुबह पूरी तरह भीग जाने पर भाजी, टमाटर चटनी, टमाटर-मिर्ची की चटनी, प्याज, बरी-बिजौरी एवं आम-नींबू के आचार के साथ मजे से खाया जाता है।
बोरे बासी स्वास्थ्यगत दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है, इसमें विटामिन बी-12 की प्रचूर मात्रा के साथ-साथ ब्लड और हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने का भी काम करता है। बोरे बासी में आयरन, पोटेसियम, कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है। इसे खाने में पाचन क्रिया सही रहता है एवं शरीर में ठंडकता रहती है। छत्तीसगढ़ के किसान मजदूरों के साथ-साथ सभी वर्गों के लोग चाव के साथ बोरे बासी का सेवन करते आ रहे हैं। आधुनिकता और भाग-दौड़ भरी जिन्दगी तथा जागरूकता के अभाव में इसके खान-पान में जरूर कमी आई है, लेकिन छत्तीसगढ़ी खान-पान का प्रचार-प्रसार इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए बेहतर उपाय होगा।