रायपुर
![रेत खदान फिर पंचायतों का, नीलामी होगी खत्म रेत खदान फिर पंचायतों का, नीलामी होगी खत्म](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/165132036504.jpg)
अधिसूचित क्षेत्रों के अलावा अब नया नियम सभी जगहों के लिए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 अप्रैल। पूरे प्रदेश में करीब 270 से अधिक रेत खदानें हैं। इससे सरकार को करीब 40 करोड़ का राजस्व मिलता है। इनमें से अधिकांश खदानें सामान्य क्षेत्र में आती हैं। लेकिन सरकार इस साल इनसे खनन को लेकर नया फैसला लेने जा रही है। अभी अधिसूचित जगहों में शामिल आदिवासी क्षेत्रों में रेत खदानों के लिए खनन का जिम्मा ग्राम पंचायतों को सौंपे जाने के बाद अब व्यवस्था में बदलाव के संकेत हैं।
खबर है अधिसूचित क्षेत्रों की जगहों के अलावा सभी ग्राम पंचायतों को पहले की तरह खनन का जिम्मा सौंपा जाएगा। जिलों में निलामी प्रथा पर ब्रेक लगाया जाएगा। राज्य शासन ने नई व्यवस्था के लिए तैयारी कर ली है। पूर्व की तरह खदानों के लिए ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव पर फिर से मुहर लगेगी। माना यह जा रहा है कि ग्राम पंचायतों को दोबारा से जिम्मेदारी मिल जाने के बाद रेत की कीमत में भी प्रभाव पड़ेगा।
रायपुर जिले में सात रेत खदानें है जिसे निलामी पद्धति से दूसरों को सौंपा गया है। लाखों रुपये की बोली लगने के बाद से इन खदानों में रेत उत्खनन का काम चल रहा है। पहले कभी तक इन खदानों पर खनन का जिम्मा ग्राम पंचायतों का हुआ करता था, अब दोबारा से निलामी प्रक्रिया खत्म करने के बाद ग्राम पंचायत अपनी दावे पेश कर सकेंगे। रेत कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है निलामी प्रक्रिया होने के बाद से रेत सप्लाई में मनमानी कीमत वसूल की जा रही थी। चूंकि रेत खदानों को लेने के लिए ही बोली लाखों रुपये में थी ऐसे में ठेका उठाने वालों ने बाजार में रेत की कीमतों पर अपना प्रभाव जमाया। ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी सौंपने दोबारा से पॉलिसी बदले जाने पर रेत की बढ़ती कीमतों पर काफी हद तक विराम लग सकेगा।
जिला खनिज विभाग की तरफ से फिलहाल अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है लेकिन एक अफसर का दावा है कि इस साल अक्टूबर महीने तक ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव मंगवाने के बाद खदानों का आवंटन पहले की तरह कर दिया जाएगा।
पिछले साल अवैध उत्खनन के 66 केस
माइनिंग विभाग ने रायपुर जिले में पिछले साल ही अवैध उत्खनन के 66 मामले दर्ज किए हैं। लगभग 21 लाख रुपये राजस्व वसूल किया गया है। यह प्रकरण तब सामने आए हैं जब खदानों की बोली लगाते हुए निलामी प्रक्रिया अपनाई गई है। 2020-21 1ूमें अवैध खनन के करीब 41 मामले ही दर्ज किए गए थे। खदानों की बोल लगने के बाद कई जगहों में अवैध खनन करने और खनिज भंडारण की शिकायतें मिली थी।
15 से 18 हजार रुपये की कीमत तय
इस समय रेत परिवहन के बदले में जमके वसूली चल रही है। रियल स्टेट कारोबार में निर्माण सामग्री महंगे होने के बीच एक ट्राली रेत के पीछे पंद्रह से अठारह हजार रुपये तक वसूल किए जा रहे हैं। रेत के अवैध खनन और भंडारण करने वाले जगहों से बिना अनुज्ञप्ति लिए ही रेत परिवहन किया जा रहा है। हाल में खनिज विभाग ने अचानक से कई ठिकानों में छापेमारी की थी, जहां से मामला उजागर हो सका था।
माइनिंग को करोड़ों की चपेत लगाई
रेत के अवैध भंडारण करने वालों ने खनिज विभाग ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में करोड़ों रुपये की चपत लगाई। भंडारण के लिए जारी किए गए लायसेंस से कहीं ज्यादा जगहों पर रेत का भंडारण किया। खनिज विभाग से इसकी शिकायत तो हुई लेकिन इस पर भी कार्रवाई खानापूर्ति के बराबर रही। बता दें मौके पर भंडारण का सर्वे और घनमीटर का हिसाब ठीक तरह से नहीं किया गया। पुराने लायसेंस के भरोसे जांच पड़ताल कर कार्रवाई समेट दिया गया। इससे कहीं न कहीं नुकसान सरकारी राजस्व को हुआ।