रायपुर
![श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया अक्षय तृतीया का पावन पर्व मठ मंदिरों में श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया अक्षय तृतीया का पावन पर्व मठ मंदिरों में](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1651588742d91aca5-4eaf-42d9-b327-290658e724b9.jpg)
वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है अक्षय तृतीया का पर्व
रायपुर, 03 मई। अक्षय तृतीया जिसे छत्तीसगढ़ में अक्ती त्यौहार के नाम से लोग जानते हैं, मठ मंदिरों में श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री दूधाधारी मठ तथा इससे संबंधित श्री जैतू साव मठ, श्री शिवरीनारायण मठ तथा श्री राजीव लोचन मठ सहित सभी मठ मंदिरों में अक्षय तृतीया का त्यौहार बड़े ही श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया। परंपरागत रूप से श्री दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने श्री दूधाधारी मठ में सुबह 8:00 बजे से घट पूजन का कार्यक्रम प्रारंभ किया। श्री बालाजी भगवान एवं श्री रघुनाथ जी के मंदिर में पूजा अर्चना लगभग 11:00 बजे तक चला, यहां पूजन संपन्न होने के पश्चात वे श्री जैतू साव मठ के लिए रवाना हुए यहां लगभग 11:30 बजे से लेकर 1:30 बजे तक विधिवत रूप से मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसी तरह से शिवरीनारायण मठ एवं भगवान राजीवलोचन मंदिर राजिम में भी भगवान की पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर भगवान परशुराम जी के जयंती का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ। राजेश्री महन्त जी महाराज ने अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर लोगों को शुभकामनाएं दी और कहा कि छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया को अक्ती त्यौहार के नाम से जाना जाता है, इस दिन से कृषि कार्य का शुभारंभ भी होता है लोग अपने अपने खेतों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं। इसे छत्तीसगढ़ी में मूठ लेना भी कहते हैं इस दिन किसान धरती माता की पूजा अर्चना करके अच्छे फसल उत्पन्न होने की कामना एवं प्रार्थना करते हैं। इसे बहुत ही शुभ दिन के रूप में माना गया है। प्राय: ग्रामीण अंचलों में शादी विवाह का मांगलिक कार्यक्रम भी इस तिथि को पूर्ण होता है। जगह -जगह पर शीतल पेयजल की व्यवस्था के लिए घड़ों का उपयोग किया जाता है। ब्राह्मणों को घट दान करने की परंपरा है। सनातन धर्म में पशु -पक्षी भी प्यासे न रह जाए इसे ध्यान में रखकर लोग यथा स्थान जल की व्यवस्था भी करते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस त्यौहार को इस वर्ष से माटी पूजन त्यौहार के रूप में मनाने का संकल्प लिया है। यह हम सभी छत्तीसगढ़ वासियों की आस्था एवं विश्वास से जुड़ा हुआ है। हमें अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए हर स्तर पर प्रयत्न करना चाहिए। घट पूजन के अवसर पर श्री दूधाधारी मठ में श्री विजय पाली जी, मुख्तियार राम छवि दास जी तथा राम मनोहर दास जी, राम अवतार दास जी, देव रामदास जी, रामेश्वर मिश्रा, हर्ष दुबे, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव सहित अनेक गणमान्य जन तथा श्रद्धालु गण काफी संख्या में उपस्थित थे।