रायपुर
![बाघमार गोल्ड ब्लॉक में खनन की अनुमति न देने एनजीटी को पत्र बाघमार गोल्ड ब्लॉक में खनन की अनुमति न देने एनजीटी को पत्र](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1651667761611842327G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 मई। आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव अग्रवाल ने वेदांता लिमिटेड को बाघमार गोल्ड ब्लॉक में खनन की अनुमति देने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह पूरा इलाका घने जंगलों, और बाघ विचरण क्षेत्र में आता है। इसलिए खनन की अनुमति लेना उचित नहीं होगा। अग्रवाल ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष को इस संबंध में पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में वेदांता लिमिटेड द्वारा बलौदा बाजार वन मंडल अंतर्गत 607.944 हेक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र में बाघमार गोल्ड ब्लॉक में 58 बोर होल के माध्यम से पूर्वेक्षण कार्य के लिए एफसीए 1980 के अंतर्गत अनुमति का आवेदन छत्तीसगढ़ सरकार को प्रस्तुत किया था । जिस क्षेत्र में पूर्वेक्षण के लिए आवेदन दिया गया है उसमें कक्ष क्रमांक 254 का वो 144 हेक्टयर वन क्षेत्र भी शामिल है जिसमे घने जंगल है बांस और अन्य ओषधि पेड़ पौधे है इसके अलावा बड़ी संख्या में भालू और अन्य जंगली जानवर भी विचरण करते है । यही नहीं बारनवापारा अभयारण्य के विस्तार हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी के पत्र क्रमांक 5056 दिनांक 6 अक्टूबर 2017 द्वारा प्रस्ताव प्रमुख सचिव वन को प्रेषित किया गया था इस प्रस्ताव में देवपुर परीक्षेत्र 22 कक्ष जिनका कुल क्षेत्रफल 5114 हेक्टेयर था विस्तारीकरण में प्रस्तावित थे इन कक्षो में कक्ष क्रमांक 254 का रकबा 144 हेक्टेयर भी शामिल था । इसके बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार के कुछ अफसर इस जंगल की अनदेखी करते हुए बेदांता लिमिटिड को इस वन क्षेत्र में पूर्वेक्षण की अनुमति सभी नियम कायदे कानून को ताक पर रखकर देने के लिए आमादा है । वेदांता लिमिटिड को पूर्वेक्षण के लिए यदि यह अनुमति दी जाती है तो न केवल यहां मौजूद प्राकर्तिक जंगल नष्ट होगा बल्कि इसमें विचरण करने वाले जंगली जानवर के अस्तित्व भी खतरे में पड़ेगा । हैरान कर देने वाला तथ्य ये है कि वन विभाग के ही वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम ने पूर्वेक्षण के लिए चयनित वन क्षेत्र का स्थल निरीक्षण किया और पाया कि इस क्षेत्र में यदि पूर्वेक्षण किये जाने की अनुमति दी जाती है तो बिना जंगल को नष्ट किये या उससे छेड़छाड़ किये पूर्वेक्षण संभव नहीं है । इस समिति ने 2 जून 2020 को दी गयी अपनी रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट कहा है कि ऐसे किसी भी पूर्वेक्षण की अनुमति दिया जाना उचित नहीं होगा ।