रायपुर
महानदी सूखने से आसपास के सैकड़ों गांवों में अब जल संकट, 8 सौ एकड़ की फसल सूखी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 मई। जैसे जैसे महानदी का जलस्तर कम होते जाता है, आसपास के लगभग सैकड़ों गांवों में जल संकंट उत्पन्न होते जाता है। महानदी के किनारे बसे घोड़ारी, मुढ़ैना, नांदगांव, बडग़ांव, बरबसपुर, पीढ़ी और सिरपुर आदि गांव इसके गवाह है। इन गांवों में खोदे गए तकरीबन 90 नलकूपों में से 80 नलकूपों में पानी का अभाव बना हुआ है। महानदी के किनारे बसे इन गांवों के हजारों लोग पानी के लिए परेशान है।
पानी की कमी सिर्फ इन्हीं 8-10 गांवों की समस्या नहीं है। इस विशाल नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों की हालत भी इससे जुदा नहीं है। सर्वे के मुताबिक महानदी की गहराई इन गांवों में करीब सौ फीट है। इन गांवों का जल स्त्रोत महानदी पर निर्भर है। लेकिन इस साल पहली बार पूरी तरह से सूख जाने से इन गांवों में पानी की विकराल समस्या उत्पन्न हो गई है। महानदी प्यासी है। तपती रेत का भंडार और गहराई तक पानी का अभाव महानदी की दशा को बयां करता है।
महानदी के किनारे बसे इन गांवों में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए, लेकिन मौजूदा हकीकत कुछ और ही है। घोड़ारी की दो हजार आबादी के लिए 11 हैंडपंप है, जिनमें तीन पंप में पानी नहीं आ रहा और दो पंपों से रेत आ रहा है। सभी हैंड पंपों से पानी निकलना बहुत मुश्किल हो रहा है। यही स्थिति मुढ़ेना की है, जहां के नलकुप सुख गए है, लोग पानी की किल्लत से परेशान हो रहे है।
पानी की कमी से सूख गईं फसलें
महानदी में बोए गए सब्जी एवं तरबूज, खरबूज तपती नदी में पहली बार सूख गए हैं। महानदी के किनारे बसे गांव निसदा, गोविंदा, घोड़ारी, बरबसपुर, अछोला, अछोली, पीढ़ी आदि गांव के हजारों कृषक परिवार ग्रीष्म ऋतु में महानदी के रेतीले पाट पर तरबूज, खरबूज, खीरा, प्याज की बड़ी मात्रा में फसल लेते थे। लगभग 5 हजार एकड़ रकबे में उक्त खेती होती थी, लेकिन इस बार पूरी तरह से सूख जाने से बोए हुए फसल खराब हो गए। इन तरबूजों की मांग महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश सप्लाई की जाती थी। बेलटूकरी के किसान का कहना है कि साग सब्जी की पैदावार लेते थे। निसदा बांध बनने के बाद पानी का बहाव कम हो गया तथा रेत की जगह कछार मिट्टी ने ले ली। इस बार सूखे के चलते कभी नहीं सूखने वाले कुएं सुख गए है।
निस्तारी तक को तरसे, स्थिति गंभीर हो सकती है
महानदी सूखने से गांवों में निस्तारी तक की संकट खड़ा हो गया है। नदी के बांए तट के ग्राम खर्वे, नारायणपुर, बगार, नंदनिया, परसदा, पैरागुड़ा, पुटपुरा, रीवांसंरार, अर्जनी, बल्दाकछार, अवराई तथा दाहिने तट पर के दतान, मुडियाडीह, धमनी, अमेठी, खैरखाडीह, धमनी, गिधपुरी, चिखली, समोदा आदि गांवों में महानदी सूख जाने से धान की फसल नष्ट हो गई और सबसे विकराल समस्या आम निस्तार की हो गई। जिससे ग्रामीणों को एक एक बूंद पानी के लिए भटकना पड़ रहा है।
रेपेयरिंग के नाम पर एनीकट भी खाली कर दिया
किसान अंजोरदास मानिकपुरी ने बताया कि गांव में ऊपरी भाग में अमेठी एनीकट बना है जिसका पानी रिपेयरिंग के नाम पर खाली कर दिया गया है। सिंचाई विभाग ने पानी तो खाली कर दिया लेकिन रिपेंयरिंग का काम आज तक शुरू नहीं हुआ है, जिसका खामियाजा न केवल दौनाझर के किसान भुगत रहे हैं बल्कि अर्जुनी ब, पीपरछेड़ी तथा नदी के तट के किसान भी भुगत रहे हैं।
इस तरह से पूरी होगी पानी की कमी
जलस्तर को स्थायी बनाए रखने के लिए जरूरी है कि महानदी के पानी को जगह जगह रोका जाए। तटबंध और उद्वहन सिंचाई योजना के माध्यम से पानी के बहाव को परिवर्तित किया जा सकता है। जल क्रांति नीति अपनाकर भी जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है। किसान जल की उपलब्धता के अनुसार अपनी फसल ले।
छतों पर जल संचय अनिवार्य हो। भू जल दोहन पर अंकुश लगाए जाने चाहिए।
क्षेत्र का गिरता जलस्तर
सन 1960 10 मीटर
सन 1970 30 मीटर
सन 1980 50 मीटर
सन 1990 60 मीटर
सन 2000 70 मीटर
सन 2010 100- 120 मीटर
सन 2020 120 मीटर