रायपुर
केन्द्र और अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ 12 फीसदी पीछे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 5 मई। देशभर से 17 प्रतिशत डीए से पीछे चल रहे छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों ने 5 प्रतिशत की घोषणा को तोहफा कहे जाने पर आश्चर्य जताया है। कर्मचारी इन दिनों इस तोहफे के पीछे छिपे दर्द को अपने वाट्सएप ग्रुप में जमकर वायरल कर रहे हैं। इसे तोहफे के रूप में प्रकाशित और प्रचारित करने वाले अखबार, और टीवी चैनलों के संपादकों के नाम पत्र लिखकर एक तरह से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। वायरल इस मैसेज में कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने तोहफा नहीं 28 महीनों का एरियर्स डकार लिया है।
यह वायरल मैसेज हम हुबहु प्रकाशित कर रहे हैं-1 मई यानी मजदूर दिवस के दिन राज्य सरकार द्वारा 5 फीसदी डीए की घोषणा की गई है जो आपके खबरों के मुताबिक कर्मचारियों के लिए बहुत बड़ा तोहफा है लेकिन सच्चाई इसके परे हैं , इस संबंध में मैं आपको बताना चाहूंगा कि डीए यानी महंगाई भत्ता वेतन का वह अभिन्न अंग है जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा हमेशा से कर्मचारियों को 1 जनवरी और 1 जुलाई को दिया जाता है , इसके लिए यह भी परिपाटी रही है कि केंद्र के साथ राज्य भी अपने कर्मचारियों को उसी अनुपात में महंगाई भत्ता देते आ रहा है लेकिन विगत कुछ समय से इस पर भी शासन -प्रशासन की नजर लग गई है। अब तक यह भी परंपरा रही है कि जब केंद्र की घोषणा के बाद राज्य सरकार घोषणा करती है तो उसी तिथि से महंगाई भत्ता को लागू किया जाता है जिस तिथि से केंद्र ने देने की घोषणा की होती है लेकिन अब एक अद्भुत और नई परिपाटी चल रही है जिसमें राज्य के कर्मचारी केंद्र से डीए में 12 फीसदी पिछड़ गए हैं, जी हां, एक दो नहीं बल्कि 12 फीसदी महंगाई भत्ता में पीछे होना अपने आप में कितना बड़ा धोखा है उसे आप आसानी से समझ सकते हैं।
साथ ही विगत कुछ समय से जिस तारीख से ष्ठ्र की घोषणा हो रही है उसी तारीख से दिया जा रहा है यानी केंद्रीय कर्मचारियों को जिस तिथि से दिया गया गई उस दिनांक से हक देने की परंपरा को भी बंद कर दिया गया है जिससे सीधे तौर पर हजारों रुपए का एरियर्स का नुकसान राज्य के कर्मचारियों को हो रहा है। अगर आप इसकी सीधे गणना करेंगे तो जिस समय से (यानी विगत 3 सालों से) एक-एक कर्मचारी लाखों रुपए के नुकसान में है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती क्योंकि सरकार एरियर्स राशि दे ही नहीं रही है । आर्थिक नुकसान की मार झेलने के बावजूद जब आप अपनी खबरों में हेडिंग में तोहफा शब्द लिखते हैं तो राज्य कर्मचारियों को ऐसा लगता है जैसे आप भी हमें तमाचा मार रहे हैं यह तो उसी प्रकार की बात हो गई कि कर्मचारियों का 3 महीने का वेतन रोक दिया जाए और दिवाली के समय उनके वेतन का भुगतान कर दिया जाए पर यह कहा जाए कि कर्मचारियों को बहुत बड़ी सौगात मिली। यह सौगात नहीं बल्कि कर्मचारियों का मूलभूत हक है जिसे छीना जा रहा है और जिस के विरोध में कर्मचारी मुखर है । हो सके तो अगली बार कम से कम महंगाई भत्ता को सौगात का नाम मत दीजिएगा आपसे विनम्र अनुरोध है क्योंकि यह सौगात नहीं बल्कि बढ़ती मंहगाई के बीच अपने रहन सहन एवं मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को राहत है जो की कर्मचारियों का हक है जो फिलहाल तो छीना जा रहा है ।
पेंशनर्स हर जगह करेंगे सीएम से मांग
इधर संयुक्त पेंशनर फेडरेशन ने फैसला किया है कि उनके सदस्य मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रदेश व्यापी भेंट- मुलाकात के दौरा कार्यक्रम में मिलकर डीए भुगतान की मांग करेंगे। साथ ही राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत धारा 49 को विलोपित कर राज्य खजाने से 21 वर्षो से मध्यप्रदेश सरकार द्वारा की जा रही लूट को रोकने एवं केन्द्र के समान 34 फीसदी महंगाई राहत के भुगतान के आदेश तत्काल जारी करने की एक सूत्रीय मांग को लेकर पेंशनर्स यूनियन मुख्यमंत्री को ज्ञापन देंगे। फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने बताया है कि मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 के छठवीं अनुसूची के प्रावधानों के कारण राज्य के सेवानिवृत्त पेंशनरों को महंगाई राहत के भुगतान हेतु मध्यप्रदेश सरकार से सहमति लेने की बाध्यता राज्य निर्माण के बाद 21 वर्षो से बनी हुई है।