रायपुर

बारिश अंधड़ में गोठानों की दुर्दशा, बनाई गई छपरी तबाह, मेंटेनेंस का अभाव
07-May-2022 9:20 PM
बारिश अंधड़ में गोठानों की दुर्दशा, बनाई गई छपरी तबाह, मेंटेनेंस का अभाव

जिले से लगे गाम पंचायतों में आदर्श गोठानों का बुरा हाल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 7 मई। जिले से लगे ग्राम पंचायतों में बनाए गए आदर्श गोठानों का इन दिनों बुरा हाल है। खासकर से अचानक अंधड़ बारिश होने की वजह से यहां बनाई गई छपरी क्षतिग्रस्त है कि मौके पर बनाए गए चारागाह भी तबाही की रास्ते पर हैं। मेंटेनेंस के अभाव में आदर्श गोठान संचालित करने वाली समितियां अभी परेशान हैं। बताया गया है कि खेती का मौसम लौट जाने के बाद अभी फिलहाल गोठानों में मवेशियों को लाने पाबंदी लगा दी गई है। खुले में ही मवेशियों को छोड़ा जा रहा है ताकि वहां उनके लिए चारे की पर्याप्त व्यवस्था हो सके। गर्मी के दिनों में गोठानों में समितियां गोबर खरीदी जरूर कर रही है। तीन दिन पहले तेज अंधड़ और फिर बारिश होने की वजह से गोठानों में बांस-बल्ली के साथ बनाए गए छपरी पूरी तरह से उजड़ गए हैं। आरंग के ठीक पहले बैहार, अभनपुर बेंद्री, केंद्री और फिर धरसींवा में स्थिति का जायजा लेने पर मालूम हुआ है यहां बारिश और अंधड़ से अच्छा खासा नुकसान हो गया है। पैरावट कटाई के लिए लगाई मशीनें भी अंधड़ में टीक नहीं पाई है। कई जगहों में टूट-फूट हो जाने की वजह से यहां अब काम रूक गया है। बैहार में गोठान प्रबंध समिति के सदस्यों से मुलाकात करने पर उन्होंने बताया कि, मेंटेनेंस की कोई सुविधा नहीं मिल पाने की वजह से काम यहां पर प्रभावित है। गोबर खरीदी का काम जरूर चल रहा है लेकिन यहां मुनाफा कम ही है। जितने  दामों में गोबर खरीदी की जा रही है खाद बनाने का प्रोसेस ही काफी धीमा है। जबकि जितना गोबर खरीद रहे हैं गोबर खाद ठीक आधे बन पा रहा है, ऐसे में खरीदी और फिर खाद बनाकर उसे बेचने की प्रक्रिया में नुकसान तय है। गोठान प्रबंधन समिति का कहना है अभी फिलहाल गर्मी के सीजन में मवेशियों को गोठान लाने के बजाए उसे खुले खेत में छोड़ा जा रहा है। वहां से उनके चारे के लिए व्यवस्था करने की कोशिश है। 

गर्मी में सूख गए चारागाह
गोठानों के पास मवेशियों के लिए चारागाह बनाने की योजना थी। कई जगहों पर बाड़ा बनाया भी गया। ठंड के दिनों में यहां पर वृक्षारोपण के साथ चारा उपलब्ध कराने के लिए जतन भी किए गए लेकिन अभी गर्मी के दिनों में सभी जगहों पर सूखे की मार हो गई है। बैहार में ही नजारा आम है जहां पर बाड़ा में लगाए गए पेड़-पौधे अब ठूंठ में तब्दील हो गए हैं। मालूम हुआ है गर्मी के दिनों में काम प्रभावित रहने के कारण खाद बनाने वाले सदस्य भी कभी कभार ही गोठान तक पहुंच रहे हैं। 

गोठान ढाबा का कांसेप्ट फेल
राज्य शासन के आदेश के बाद गोठान ढाबा संचालित करने के निर्णय के बाद कई जगहों में आदर्श गोठान ढाबा बनाया गया। इसके चलते निर्माण भी कराया गया लेकिन कई जगहों में ढाबा शुरू ही नहीं हो सका। आरंग-महासमुंद मुख्य मार्ग से लगे बैहार आदर्श गोठान में ही इस कांसेप्ट ने दम तोड़ दिया। इसी तरह से बाकी जगहों में भी लगभग यही हालात हैं। गोबर से खाद बनाने और फिर इसकी बिक्री से मुनाफा कमाने की ज्यादा चिंता है कि प्रबंध समितियों ने गोठान ढाबा से दिलचस्पी हटा ली है। 

 

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