रायपुर

कोचिंग सेंटर और स्कूलों का बड़ा खेल-डमी एडमिशन से लाखों के वारे न्यारे
08-May-2022 6:09 PM
कोचिंग सेंटर और स्कूलों का बड़ा खेल-डमी एडमिशन से लाखों के वारे न्यारे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर 8 मई। डमी एडमिशन के नाम पर कोचिंग सेंटर्स और निजी स्कूलों के बीच बड़ा खेल चल रहा है। अब तक इनका क्लास 11-12 वीं में डमी एडमिशन कराता रहा है। लेकिन अब 9-10 वीं में भी यह कारोबार शुरू हो चुका है। इससे बच्चों मे स्कूल कल्चर बंद होने का खतरा बढ़ गया है।

राजधानी ही नही आसपास के शहरों में सीजी पीईटी,पीएमटी,पीएटी या नीट की प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए ट्यूशन देने वाले दर्जन भर को कोचिंग सेंटर्स संचालित है। इनमें से अधिकांश के मुख्यालय कोटा,राजस्थान,दिल्ली में है। स्कूल और फिर कोचिंग की क्लासेस के दबाव को कम करने के लिए ही डमी एडमिशन की तरकीब चलायी जा रही है। कोचिंग सेंटर्स,ने शहर के कुछ चर्चित स्कुलों के साथ अघोषित रूप से टाइ अप कर रखा है। 11-12वीं के लिए एकमुश्त फीस लेकर स्कूलों में एडमिशन दिलवाते है। और उसके बाद बच्चों को स्कूल जाने की जरूरत नही। वे कोचिंग सेंटर की क्लासेस में पढ़ते है। और परीक्षा मे बैठने के लिए आवश्यक अटेंडेस साल के अंत में स्कूल वाले दे देते है। यह तरकीब स्कूल प्रबंधन के लिए भी चोखा होता है। एक मुश्त 40-50 हजार या उससे अधिक रूपए मिल जाते हैं। टिकरापारा, जीईरोड,शंकरनगर जैसे इलाकों मे संचालित कोचिंग सेटरों ने राजेंद्रनगर, अमलीडीह, डीडीनगर,बरौदा , अवंतिविहार इलाके के चर्चित स्कूलों के साथ ऐसा टाइअप चल रहा है। एकमुश्त फीस देकर स्कूल के दबाव से मुक्ति का यह रास्ता बच्चो ंऔर अभिभावकों के लिए भी फायदे का नजर आता है तो वो भी तैयार हो जाते है क्योकि कोचिंग और स्कूल की क्लासेस की टाइमिंग एक ही  होने के कारण भी यह तरीका बेहतर होता है। कोचिंग सेंटर में प्रतियोगी परीक्षा के अलावा स्कूल सिलेबस भी पढ़ाने का विकल्प दिया जाता है।

इसके विकल्प के चलते बच्चों में स्कूलिंग का कल्चर लगभग  खत्म होता जा रहा है। कोचिंग सेंटर्स के शिक्षकों के अनुसार इन कोचिंग  सेंटर्स मे पढ़ाने वाले दो हजार बच्चों में से 200-500 बच्चें डमी एडमिशन का विकल्प अपनाएं हुए है। अब यह कारोबार 9-10 वीं के लिए भी शुरू कर दिया गया है। बेहतर पढ़ाई और पीईटी-पीएमटी मे 100प्रतिशत सफलता का दावा या ऑफर देने वाले कोचिंग सेंटर्स का रिजल्ट उतना ही खराब रहता है। 100 प्रतिशत सफलता मतलब 2000 बच्चों मे से सभी को पास होना चाहिए लेकिन रिजल्ट से पांच फीसदी तक ही आता है। शिक्षकों के मुताबिक इस काकस की सारी जानकारी सीजी बोर्ड, सीबीएसई और शिक्षा विभाग के अफसरों को भी है। किंतु अबतक इस दिशा मे न तो जॉंच की गयी न कोई कार्यवाही हाल के दिनों में शिक्षा विभाग ने स्कूलों में छापामार कार्यवाही तो की लेकिन डमी एडमिशन के कारोबार को नजरअंदाज किया गया।

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