रायपुर

सौ से कम ही लोग बूढ़ापारा में कर सकेंगे प्रदर्शन, बाकी भीड़ नवा रायपुर जाएगी
09-May-2022 6:06 PM
 सौ से कम ही लोग बूढ़ापारा में कर सकेंगे प्रदर्शन, बाकी भीड़ नवा रायपुर जाएगी

लोगों की परेशानी के चलते बदला स्थल-कलेक्टर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 9 मई। रायपुर शहर के बूढा तालाब के सामने के धरना स्थल पर अब केवल एक सौ की संख्या में ही प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण आंदोलन कर सकेंगे।इसके लिए भी प्रशासन से विधिवत अनुमति लेनी होगी। बूढा तालाब के सामने के वर्तमान धरना स्थल पर केवल शांतिपूर्ण आंदोलन की ही अनुमति रहेगी । यहाँ किसी भी प्रकार की रैली या जुलूस की अनुमति नही होगी। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स, सराफा एसोसिएशन और स्थानीय पार्षद सहित आमजनो ने भी इस स्थल को जनता को हो रही असुविधा को देखते हुए अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग की थी।

जिला कलेक्टर श्री सौरभ कुमार ने यहां बताया कि जन भावनाओं और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए शहर के इस बूढा तालाब के सामने के धरना स्थल को नवा रायपुर के राज्योत्सव मैदान के सामने स्थान्तरित किया जा रहा है। इस बारे में जिला प्रशासन ने आदेश भी जारी कर दिया है। अब बूढा तालाब के सामने वाले स्थल पर केवल एक सौ लोग ही शांतिपूर्ण आंदोलन कर सकेंगे। एक सौ से ज्यादा की संख्या में  प्रदर्शनकारियों को आंदोलन के लिये राज्योत्सव मैदान निर्धारित होगा।

कलेक्टर ने बताया कि बूढा तालाब के सामने के स्थल पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के जमावड़े से आमजनो को भारी परेशानी उठानी पड़ रही थी।आने जाने की असुविधा, बार बार जाम की स्थिति के साथ आस पास की दुकानें भी बंद करनी पड़ रही थी जिस से लोगो को जरूरत की चीजों के लिए भी भटकना पड़ रहा था। इसके साथ ही निकट ही संचालित दानी गर्लस स्कूल और सप्रे शाला के विद्यार्थियों को भी स्कूल आने जाने में परेशानी हो रही थी जिस से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही थी।

श्री कुमार ने बताया कि लोगो की सुविधा के लिए स्थानीय पार्षद, जनप्रतिनिधियों और अन्य संगठनों की मांग पर धरना स्थल को नवा रायपुर राज्योत्सव मैदान के सामने स्थानांतरित किया गया है।साथ ही पुराने धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों की संख्या अधिकतम एक सौ निर्धारित की गई है।

छत्तीसगढ़ में धरना प्रदर्शन पर रोक-यह आदेश अच्छा होगा?

छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रमुख प्रवक्ता विजय कुमार झा ने बूढ़ा तालाब से धरना स्थल को नवा रायपुर ले जाने के निर्णय को अलोकतांत्रिक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन निरूपित किया है। श्री झा ने धरना स्थल परिवर्तन के लिए समस्त राजनीतिक पार्टियों समस्त कर्मचारी संगठन एवं प्रेस क्लब के पदाधिकारियों से विचार विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लेना उचित होता, क्योंकि धरना स्थल पूर्व में जयस्तंभ चौक उसके बाद मोतीबाग चौक और अब बूढ़ा तालाब निर्धारित है। इस धरना स्थल पर बरसात में गंदगी कीचड़ मच्छरों का साम्राज्य रहता है। ऐसे में धरना देना धरनारत कर्मचारियों के लिए कष्टदायक है। जिन लोगों ने इसी बूढ़ा तालाब में धरना देकर सत्तासीन हुए आज उन्हें यह अनुपयोगी लग रहा है। जहां तक जनता और व्यापारियों का सवाल है बूढ़ा तालाब के चारों ओर पृथक पृथक मार्ग है जिससे आवागमन सुचारू रूप से चल सकता है। पुलिस प्रशासन रैली के 3 घंटा पहले सप्रे स्कूल के पास बंद कर जनता को परेशान करती है। रैली निकलने के आधा घंटा पूर्व रोकने से आवागमन में अवरोध नहीं होगा। धरना स्थल पर अनेक ठेले फल कपड़े बैग बिकते हैं जो हमारे बाहर से आए कर्मचारी क्रय करते हैं। इससे स्पष्ट है कि धरना देने से व्यापारियों को भी लाभ होता है। ऐसी स्थिति में नवा रायपुर जहां कोई देखेगा नहीं जंगल है, इंद्रावती मंत्रालय से भी दूर है। ऐसी स्थिति में लोकतंत्र में धरना प्रदर्शन अपनी मांगों की ओर शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए जनता के समक्ष प्रदर्शन आवश्यक है। अन्यथा वह कहावत चरितार्थ होगी कि जंगल में मोर नाचा किसने देखा और मीडिया के कर्मचारी 28 किलोमीटर दूर जाकर समाचारों का संकलन करेंगे यह संदेहास्पद है। कुल मिलाकर धरना स्थल बूढ़ा तालाब उचित है अन्यथा फायर ब्रिगेड ऑफिस हटने के बाद पुन: मोतीबाग को धरना स्थल बनाया जा सकता है। पूर्व में गृह विभाग द्वारा जारी 19 बिंदुओं की शर्तों का पालन करने पर अनुमति मिलने की व्यवस्था ही स्पष्ट कर दी थी कि धरना स्थल बदलेगा । अच्छा होता सीधे एक लाइन का आदेश हो कि छत्तीसगढ़ राज्य में कोई धरना प्रदर्शन नहीं होगा। इसको प्रतिबंधित किया जाता है। अच्छा हुआ बस्तर कोंटा के किसी जंगल में धरना स्थल निर्धारित नहीं किया गया।

छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रमुख प्रवक्ता विजय कुमार झा ने बूढ़ा तालाब से धरना स्थल को नवा रायपुर ले जाने के निर्णय को अलोकतांत्रिक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन निरूपित किया है। श्री झा ने धरना स्थल परिवर्तन के लिए समस्त राजनीतिक पार्टियों समस्त कर्मचारी संगठन एवं प्रेस क्लब के पदाधिकारियों से विचार विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लेना उचित होता, क्योंकि धरना स्थल पूर्व में जयस्तंभ चौक उसके बाद मोतीबाग चौक और अब बूढ़ा तालाब निर्धारित है। इस धरना स्थल पर बरसात में गंदगी कीचड़ मच्छरों का साम्राज्य रहता है। ऐसे में धरना देना धरनारत कर्मचारियों के लिए कष्टदायक है। जिन लोगों ने इसी बूढ़ा तालाब में धरना देकर सत्तासीन हुए आज उन्हें यह अनुपयोगी लग रहा है। जहां तक जनता और व्यापारियों का सवाल है बूढ़ा तालाब के चारों ओर पृथक पृथक मार्ग है जिससे आवागमन सुचारू रूप से चल सकता है। पुलिस प्रशासन रैली के 3 घंटा पहले सप्रे स्कूल के पास बंद कर जनता को परेशान करती है। रैली निकलने के आधा घंटा पूर्व रोकने से आवागमन में अवरोध नहीं होगा। धरना स्थल पर अनेक ठेले फल कपड़े बैग बिकते हैं जो हमारे बाहर से आए कर्मचारी क्रय करते हैं। इससे स्पष्ट है कि धरना देने से व्यापारियों को भी लाभ होता है। ऐसी स्थिति में नवा रायपुर जहां कोई देखेगा नहीं जंगल है, इंद्रावती मंत्रालय से भी दूर है। ऐसी स्थिति में लोकतंत्र में धरना प्रदर्शन अपनी मांगों की ओर शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए जनता के समक्ष प्रदर्शन आवश्यक है। अन्यथा वह कहावत चरितार्थ होगी कि जंगल में मोर नाचा किसने देखा और मीडिया के कर्मचारी 28 किलोमीटर दूर जाकर समाचारों का संकलन करेंगे यह संदेहास्पद है। कुल मिलाकर धरना स्थल बूढ़ा तालाब उचित है अन्यथा फायर ब्रिगेड ऑफिस हटने के बाद पुन: मोतीबाग को धरना स्थल बनाया जा सकता है। पूर्व में गृह विभाग द्वारा जारी 19 बिंदुओं की शर्तों का पालन करने पर अनुमति मिलने की व्यवस्था ही स्पष्ट कर दी थी कि धरना स्थल बदलेगा । अच्छा होता सीधे एक लाइन का आदेश हो कि छत्तीसगढ़ राज्य में कोई धरना प्रदर्शन नहीं होगा। इसको प्रतिबंधित किया जाता है। अच्छा हुआ बस्तर कोंटा के किसी जंगल में धरना स्थल निर्धारित नहीं किया गया।

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