रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 मई। महासमुंद में पहली बार प्रदेश की सबसे ज्यादा गर्मी बढ़ रही है। इस बार पारा 47 डिग्री तक पहुंच गया था। भीषण गर्मी के चलते 17 मिलियन घन मीटर यानी 36 फीट की भंडारण क्षमता वाले केशवा बांध सूख चुका है। ऐसे हालत 23 साल बाद देखने को मिला है। 10 हजार एकड़ कृषि भूमि को सिंचित करने के उदेश्य से तैयार बांध पहली बार पूरी तरह से खाली हुआ है। यहां पानी के वाष्पीकरण की औसत प्रतिशत 12 प्रतिशत की प्रक्रिया से दो गुना अधिक यानी 24 फीसदी बताया जा रहा है। ऐसे में बांध पर निर्भर 30 गांवों में निस्तारी की समस्या खड़ी हो गई है। अब तक गांवों के सूख चुके तालाबों में केशवा जलाशय से ही पानी छोड़ा जाता रहा है।
कोडार में मात्र 5.7 इच पानी
आंकड़े बताते है कि पिछले साल के मुकाबड़े महासमुंद का सबसे बड़ा बांध कोडार पानी कम है। 30. 50 फीट भरान क्षमता वाले इस बांध में बारिश में 18 फीट पानी भरा था जिसमें मात्र 5.7 इच पानी बचा है। इस कारण से यहां भी तलहटी दिखने लग गया है।
भाप बना 13 फीसदी पानी
शुरूआती गर्मी के पहले यानी 18 अप्रैल को कोडार बांध में 17 फीसदी एवं केशवा में 13 फीसदी पानी शेष था। गर्मी के चलते 25 दिन में कोडार पानी 5.7 इच एवं केशवा में 4 फीसदी ही बचा है। आशंका है कि पानी की कमी के चलते हफ्तेभर में यहां सिल्ट भी सूख जाएगा।
यह भी जानिए
- 1982- 83 में कोडार बांध बना
- 30 गांव के लोग कोडार बंाध पर निर्भर
- 1962 में केशवा बांध बना
- 2008 में बंाध का जीर्णोद्धार हुआ
- 30 गांव के लोग केशवा बंाध पर निर्भर
एक नजर प्रदेश के अन्य
बांधों की स्थिति
मुरूमसिल्ली 0 फीसदी
अरपा भैंसाझार 0 फीसदी
परलकोट 0 फीसदी
पुटका 4 फीसदी
कुम्हारी 8 फीसदी
मिनीमाता- 50 फीसदी
रविशंकर 53 फीसदी
वॉटर लॉस को तीन हिस्सों
में मापा जाता है
- बांध क्षेत्र की जमीन का पानी सोखना
- बांध से कटावा या पानी का रिसाव
- वाष्पीकरण यानी पानी का भाप बनना