सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर,21अगस्त। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व बहुत ही उमंग एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। उसके साथ श्री कृष्ण जीवन चरित्र स्वर्ग झांकी का शुभारंभ किया गया। झांकी में भी कृष्ण के बाल लीलाओं से लेकर उनके संपूर्ण जीवन चरित्र को प्रदर्शित किया गया।
इस झांकी का शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व पार्षद एवं व्यवस्थापक सरस्वती शिशु मंदिर समिति कर्ताराम गुप्ता,पूर्व पार्षद एवं कन्या महाविद्यालय अध्यक्ष प्रेमलता गुप्ता, संतोष भारती, सोमप्रभा भारती, बहन वंदना दत्ता, पूर्व सिविल सर्जन डॉ मंजू शर्मा एवं सरगुजा संभाग की सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्मा कुमारी विद्या दीदी तथा ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान से जुड़े भाई बहनों समेत किया गया।
सभी अतिथियों द्वारा झांकी की प्रशंसा करते हुए श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इसके अंतर्गत ब्रम्हाकुमारी विद्या दीदी ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी का अध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि वर्तमान समय जहां सभी माननीय मूल्य का ह्रास दिन प्रतिदिन होता जा रहा है वहां न केवल श्री कृष्ण की पूजा अर्चना वरन उसके साथ उनके जैसा पावन एवं दिव्य बनने की आवश्यकता है जहां हर एक मनुष्य आत्माओं को देवी देवताओं जैसे दिव्य गुणों को अपने जीवन में धारण करना होगा। जिससे हम संपूर्ण धरती को स्वर्ग एवं सोने की चिडिय़ा बना पाएंगे।
इस झांकी को और मनोरम एवं इसकी सुंदरता बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे बच्चों द्वारा श्री कृष्ण के बाल लीलाओं से संबंधित नृत्य, गीत, कविता, रास किया गया तथा भाई बहनों के द्वारा मटकी फोड़ का आनंद उठाया गया। इसके साथ ब्रम्हाकुमारी विद्या दीदी ने यह भी जानकारी दी कि झांकी 22 अगस्त तक रहेगी। 23 अगस्त से जो भी भाई बहने अपने जीवन को दिव्य एवं श्रेष्ठ बनाना चाहते हैं उनके लिए सात दिवसीय राजयोग शिविर का आयोजन किया गया है। जिसका समय प्रात: 8 से 9 एवं सायंकाल 6.30 से 7.30 का रखा गया है। वे सभी आकर इसमें भाग ले सकते हैं एवं इसके अलावा कभी भी आकर राजयोग का कोर्स कर सकते हैं। हम सभी हर वर्ष जन्माष्टमी मनाते हैं।
जन्माष्टमी के साथ-साथ उसके उद्देश्य को अपने जीवन में धारण करें तो हमारा जीवन भी दिव्य बन जाएगा और प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय इस पावन पर्व पर यही संदेश देती है, कि श्री कृष्ण के जीवन चरित्र में उन्होंने जिन गुणों को हर परिस्थिति में दिखाया है उसे हम भी धारण करें तभी हमारी सच्ची जन्माष्टमी होगी।