सरगुजा

सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा, बेमुद्दत हड़ताल से कामकाज प्रभावित
22-Aug-2022 7:59 PM
सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा, बेमुद्दत हड़ताल से कामकाज प्रभावित

कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने कहा जब तक मांगें पूरी नहीं, डटे रहेंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 22 अगस्त।
केंद्र के समान 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता व सातवें वेतनमान में देय तिथि से गृह भाड़ा भत्ता देने की मांग को लेकर 22 अगस्त से कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल पर चले जाने के कारण सोमवार को शासकीय कार्यालयों में सन्नाटा छाया रहा, वहीं शासकीय सेवाएं लगभग पूर्ण रूप से ठप पडऩे से आम नागरिक परेशान रहे। इस बार अनिश्चितकालीन हड़ताल से शिक्षक संवर्ग ने खुद को अलग रखा, जिसके कारण स्कूल प्रभावित नहीं हुए।

2 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को अंबिकापुर नगर के एसबीआई कलेक्टोरेट ब्रांच शाखा के सामने कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने प्रदर्शन किया और कहा कि सरकार जब तक हमारी उक्त 2 सूत्रीय मांगें पूरा नहीं करती है, हम हड़ताल पर डटे रहेंगे।

गौरतलब है कि अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन चरणबद्ध आंदोलन के तहत जुलाई में पांच दिनों का हड़ताल कर कामकाज ठप किया था, लेकिन उस समय सरकार के साथ इनकी कोई वार्ता नहीं हुई। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महंगाई भत्ता में 6 प्रतिशत की और वृद्धि की है, लेकिन कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन अपनी मांग 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता व सातवें वेतनमान में एचआरए दिए जाने की जिद पद अड़े हुए हंै और प्रस्तावित अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत 22 जुलाई से सभी शासकीय अधिकारी कर्मचरी हड़ताल पर चले गए हैं।

हड़ताल में संघ के लोगों ने कहा कि 40 वर्ष के इतिहास में पहली बार अनिश्चितकालीन हड़ताल हो रहा है। छत्तीसगढ़ के साढ़े चार लाख कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले आंदोलनरत हंै। छत्तीसगढ़ राज्य किसी भी प्रकार की आर्थिक समस्या नहीं है। यहां पर प्रचुर मात्रा में कोयला, बॉक्साइट, लोहा, हीरा, सोना, वनस्पतियां उपलब्ध है, इसके साथ ही बिजली, शराब से बेताहासा राजस्व की आय हो रही है। सरकार किसानों को दोनों हाथों से लुटा रही है, विधायक मंत्रियों का वेतन दोगुना हो गया, मात्र कर्मचारियों के लिए पैसा नहीं है। कर्मचारी छत्तीसगढ़ के दुर्गम पहाड़ी, जंगली क्षेत्रों में, नक्सली क्षेत्रों में अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी सेवाएं दे रहा है।

कोरोनाकाल में कितने कर्मचारियों ने अपनी जान गंवाकर अपनी सेवाएं दी, इसके बावजूद सरकार हमारे साथ धोखा छल कर रही है।

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