रायगढ़

फिर पहुंचा हाथी दल, सडक़ किनारे मौजूदगी से वाहनों की लंबी कतारें
10-Sep-2022 2:42 PM
फिर पहुंचा हाथी दल, सडक़ किनारे मौजूदगी से वाहनों की लंबी कतारें

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 10 सितंबर।
रायगढ़ जिले में एक बार फिर से जंगली हाथियों की दस्तक हो चुकी है और इस बार जंगली हाथियों की संख्या एक दर्जन से भी ज्यादा है और वे रायगढ़ जिला मुख्यालय से मात्र 24 किलोमीटर दूर अमलीडीह व सामारूमा इलाके में पहुंच गए हैं। शुक्रवार की सुबह हाथी दल जंगलों से निकलकर सडक़ किनारे आ पहुंचा। इस दौरान इस मार्ग के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गई। वहां उपस्थित कई लोगों ने जंगली हाथियों के वीडियो अपने मोबाईल में कैद भी किये।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला हाथी प्रभावित होने के चलते सबसे ज्यादा इनके आतंक से जूझ रहा है चूंकि जिले में रायगढ़ वन मंडल व धरमजयगढ़ वन मंडल आते हैं और इन दो जगह महीनों में दो बार हाथियों तथा मानव के बीच द्वंद्व होने के चलते कभी हाथी की मौत तो कभी जंगली हाथियों के हमले से ग्रामीणों की मौत होने की खबरे मिलती रहती है। बावजूद इसके सरकार के पास इस आतंक से निपटने के लिये अभी तक कोई ठोस योजना नहीं बनी है।

रायगढ़ जिले के साथ-साथ प्रदेश के कई जिलों में एक लंबे अर्से से जंगली हाथियों का आतंक जारी है। जंगलों में रहने वाले ये गजराज जंगलों से निकलकर रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर किसानों के घरों व फसलों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं।
 इस दौरान अगर इन जंगली हाथियों का किसी भी व्यक्ति का सामना हो जाए तो उसकी मौत निश्चित हो जाती है। जबकि हाथी प्रभावित क्षेत्रों में सावधानी के बोर्ड केवल सडक़ों तक ही सीमित है और लंबे समय से इनको खदेडऩे तथा इनके आतंक से निपटने के लिये वन विभाग के पास पुराने संसाधनों के अलावा कुछ नहीं है।

कभी जंगली हाथी गांव में अगर घुस जाते हैं तो वन अमला उनके आतंक के चलते वहां पहुंचता ही नहीं, पहुंचता तब है जब हाथी अपना काम करके निकल जाते हैं। स्थिति यह है कि आज भी अकेले रायगढ़ वन मंडल और धरमजयगढ़ वन मंडल में दर्जनो ऐसे गांव है जहां आज भी जंगली हाथियों की दहशत इस कदर है कि शाम ढलते ही गांव में अंदर व बाहर सन्नाटा पसर जाता है।

जंगली हाथी प्रभावित इलाकों में कई बार ऐसे भी नजारे सामने आते हैं जब गजराज सडक़ों पर आ जाते हैं और घंटों तक उस मार्ग में वाहनों के पहिये थम जाते हैं। ऐसा ही एक नजारा शुक्रवार की सुबह रायगढ़ जिला मुख्यालय से महज 24 किलोमीटर दूर तमनार वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सामारूमा में देखने को मिला। जब गजराजों का एक दल जंगलों से निकलकर सडक़ किनारे आ पहुंचा, इस दौरान इस मार्ग के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गई। वहां उपस्थित कई लोगों ने जंगली हाथियों के वीडियो अपने मोबाईल में कैद भी किये। लोगों ने बताया कि जंगली हाथियों के इस दल में कई शावक भी थे। इस क्षेत्र में काफी लंबे अर्से बाद जंगली हाथियों के दल को आज देखा गया है। लिहाजा इस क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल निर्मित हो गया है।
यूं तो रायगढ़ जिले के वनांचल क्षेत्र धरमजयगढ़, छाल, घरघोड़ा, तमनार के अलावा रायगढ़ वन मंडल के बंगुरसिया के जंगलों में सदैव जंगली हाथियों की मौजूदगी रहती है। इसमें से धरमजयगढ़ और छाल वन परिक्षेत्रों में जंगली हाथियों का आतंक सबसे अधिक देखा जाता है।

एक अन्य जानकारी के मुताबिक धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कई गांव ऐसे भी हैं जहां शाम ढलते ही गांव की गलियां सूनी हो जाती है और कई गांव ऐसे भी हैं जहां के युवा से लेकर बुजुर्ग बारी-बारी से रतजगा कर अपने फसलों, अपने घरों व अपने जान की रक्षा करते आ रहे हैं।

रायगढ़ जिले के साथ-साथ पूरे प्रदेश में जंगली हाथियों की बढ़ती संख्या हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिये एक चिंता का विषय बनते जा रही है। किसी भी हाथी प्रभावित क्षेत्र में जंगली हाथियों की आमद के बाद वन विभाग गांव में मुनादी कराकर क्षेत्र के लोगों को जंगल नहीं जाने की बात कहता है। साथ ही हाथी के द्वारा मचाए गए उत्पात के बदले किसानों का मुआवजा भी दिया जाता है। परंतु जिस हिसाब से किसानों को मुआवजा मिलता है वह नुकसान के एवज में काफी नहीं रहता। जिले में जंगली हाथियों की बढ़ती संख्या से हाथी और मानव के बीच द्वंद्व भी जारी है और अभी तक लगभग सैकड़ों लोगों की मौत हाथी के हमले से हो चुकी है और इतनी ही संख्या में जंगली हाथियों की मौत हुई है।
 

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