रायगढ़

मानसिक स्वास्थ्य पर काम कर रही रायगढ़ पुलिस
10-Sep-2022 10:01 PM
मानसिक स्वास्थ्य पर काम कर रही रायगढ़ पुलिस

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर विशेष

घटना के बाद होने वाले प्रभाव को गंभीरता से ले रहे- एएसपी

स्वस्थ मन से काम में तनाव नहीं होता -एसआई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 10 सितंबर। दो दिन पहले जूटमिल चौकी प्रभारी को किसी ने फोन किया वह आत्महत्या करने के लिए भगत सिंह पुल के पास खड़ा है वह जल्दी से आए जाएं ताकि उसके शरीर का अंग किसी के काम आ जाए। पुलिस आनन-फानन में वहां पहुंची तो पता चला कि वह पढ़ा लिखा युवक नशे में था और लोगों के तानों से आहत था। उसे सब निकम्मा कहते हैं तो वह आत्महत्या कर अपने अंग से किसी के काम आने की योजना बनाये हुए था। पुलिस की समझाइश पर वह माना और फिलहाल वह ठीक है। इसी तरह कई बार पुलिस को ऐसे लोगों से रूबरू होना पड़ता है और वह सफल भी होती है।

आत्महत्या को रोकने के लिए कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार साल 2021 में छत्तीसगढ़ में 7,828 लोगों ने आत्महत्या की। पूरे देश में आत्महत्या की दर 12 व्यक्ति प्रति 1 लाख है तो छत्तीसगढ़ में यह दर दोगुने से भी अधिक 26.44 है। 

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखन पटले बताते हैं दुर्घटना किसी के साथ भी हो सकती है इसका मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव जरूर पड़ता है। वर्तमान की पुलिसिंग में हम घटना के बाद के प्रभाव को ज्यादा गंभीरता से रहे हैं। जैसे किसी के साथ साइबर ठगी हो गई है, उस व्यक्ति के जीवनभर की कमाई कोई एक झटके से निकाल लेता है, वह परेशान हो जाता है और धीरे-धीरे मानसिक अवसाद की ओर बढ़ता है। ऐसा ही वर्तमान की युवा पीढ़ी में भी है बहुत आसानी से वह किसी के बहकावे में आ जाती है और बिना सोचे समझे कोई निर्णय ले लेती है जिसका बाद में उसे पछतावा होता है। पुलिस जन जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से लोगों में यह विश्वास कायम कर रही है कि हम उनके लिए हैं। पुलिस जन चैपाल में साइबर क्राइम से कैसे बचें, मोबाईल फोन से जरिए ठगने वालों से कैस बचे और अपराध करने से कैसे बचे इसकी जानकारी दी जाती है। महिला सुरक्षा टीम बच्चियों को उनके अधिकार और गुड टच बैड टच बताती है साथ ही उन्हें भरोसा दिलाती है कि कुछ भी हो तो हम हैं।

मानसिक स्वास्थ्य

पर पुलिस का जोर

जूटमिल चैकी प्रभारी और सायबर सेल  प्रभारी उपनिरीक्षक कमल किशोर पटेल कहते हैं कि समय के साथ तनाव भी बढ़ते जा रहे हैं और यह अप्रत्याशित है। साइबर क्राइम, ठगी से आहत व्यक्तियों के आत्महत्या करने के मामले भी सामने आए हैं।

बच्चों को पढऩे दो -एएसपी पटले

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखन पटले कहते हैं कि  आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में देखा गया है कि कम उम्र में ही बच्चे को किसी के यहां काम में भेज देते हैं  वह उस समय तो पैसा लाकर देता है और पालक को अच्छा लगता है पर वह उम्र उसके पढऩे की होती है।  जब यह बीत जाता है तो उसे अफसोस होता है और वह तनाव में रहता है और बहुत संभावना रहती है कि वह अपराध में शामिल हो। इसलिए पालक अपने बच्चों को पढ़ाएं अगर वह पढ़ेगा तो वह और तरक्की करेगा।

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