बीजापुर
आतंक और दहशत नहीं अब शिक्षा और शांति का मॉडल बनेगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 13 दिसंबर। देश का सर्वाधिक माओवाद प्रभावित माना जाने वाला बीजापुर इलाके की तस्वीर शिक्षा को लेकर बदल रही है। सरकार की विश्वास बहाली की कोशिशों के बीच अब ग्रामीण इन इलाकों में शिक्षा को लेकर जागरूक हो रहे है। साल 2005 में सलवा जुडूम अभियान के दौरान उपजे हिंसा और आतंक के माहौल के बाद जिले के तकरीबन 300 स्कूल बंद हो गए । इनमें सर्वाधिक माओवाद प्रभावित मनकेली गांव है जहाँ 18 साल से स्कूल और तमाम सरकारी सुविधाएँ जमींदोज हो गई ।
जिला मुख्यालय बीजापुर से महज 13 किलोमीटर दूर मनकेली आम तौर पर सरकारी मुलाजिम और सरकारी योजनाओं के लिए प्रतिबन्धित इलाका माना जाता है। जहाँ हर कदम चुनौती और दहशत से भरा होता है। अब यहां के हालात बदल रहे है और शिक्षा से शांति का वातावरण तैयार हो रहा है। ग्रामीण अब शिक्षा की मुहिम में आगे आकर एक नई मिसाल पेश कर रहे हैं।
सोमवार को बीजापुर के बीईओ मोहम्मद जाकिर खान बीआरसी कामेश्वर दुब्बा के साथ शिक्षा विभाग की टीम मनकेली पहुंची और 18 साल बाद 100 बच्चों को दाखिल कर नए अध्याय की शुरुआत की। दुर्गम और भयावह रास्तों से गुजरने के बाद शिक्षा विभाग की टीम ने मनकेली के बच्चों को स्कूल बैग, कॉपी किताब भेंट किया तो बच्चों के साथ ग्रामीण भी खुशी से झूम उठे। यहाँ के सरपंच लखु उरसा, पुजारी मोडियंम लक्खू और मुखिया पुनेम सन्नू ने शिक्षा की अलख जगाने पर खुशी का इजहार कर तिलक लगाकर बच्चों का स्वागत किया और बैग कॉपी पुस्तक भेंट किया।
इस अवसर पर बच्चों के साथ ग्रामीणों और शिक्षा विभाग की टीम ने सामूहिक रूप से भोजन कर एक नए विश्वास का संदेश दिया । मनकेली में स्थानीय ज्ञान दूत के माध्यम से स्कूल का संचालन होगा। जिसमें स्कूल शेड के साथ जरूरी सुविधाओं की बहाली जिला प्रशासन के माध्यम से किया जा रहा है।
18 साल बाद राष्ट्रगान का हुआ गायन
स्कूल और सरकारी सुविधाओं के ध्वस्त होने के बाद मनकेली में तमाम सरकारी गतिविधियां बन्द हो गई। अब जब स्कूल के जरिये बदलाव की बयार बही तो 18 साल बाद मनकेली की वादियों में राष्ट्रगान की गूंज भी सुनाई दी। स्कूल शुरू करने के मौके पर बच्चों के साथ ग्रामीणों और मौजूद शिक्षा विभाग की टीम ने राष्ट्रगान का गायन कर औपचारिक रूप से कक्षाओं की शुरुआत की।
200 से ज्यादा स्कूल खुले, 7500 बच्चों को मिला शिक्षा का अधिकार
छतीसगढ़ सरकार की विश्वाश बहाली की मुहिम और जिला प्रशासन के प्रयासों से पूरे जिले में तकरीबन 300 बन्द स्कूलों में से 200 से ज्यादा स्कूलों को फिर से खोलने में सफलता पाई गई है। जिनमें 7500 बच्चे दाखिल किए गए हैं। डीएमएफ मद से ज्ञान दूत मानदेय, स्कूल शेड और बुनियादी सुविधाओं की पूर्ति जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नोटकेम के माध्यम से फिर से खोले गए स्कूल की मॉनिटरिंग की जा रही है।
स्कूल खोलने की मुहिम में लगे बीईओ मोहम्मद जाकिर खान ने बताया कि मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के निर्देशों के अनुरूप जिला प्रशासन की नीति ने स्कूल खोलने के अभियान को बेहतर दिशा दी है। अंतिम गांव औऱ अंतिम व्यक्ति तक शासन की योजनाओं को पहुंचाने विश्वास कायम करने की सरकारी पहल का असर ग्रामीणों पर हुआ है और वे बुनियादी सुविधाओं की खुद मांग कर रहे है। शिक्षा को लेकर ग्रामीणों के बीच एक सकारात्मक बदलाव आया है। जिसके चलते हम अंदुरुनी और दूरस्थ क्षेत्रों में स्कूल खोलकर नई राह बनाने में सफल हो पा रहे हैं।