बीजापुर

पोषड़पल्ली गांव की पहाड़ी में श्रीकृष्ण की बसी है आस्था
08-Apr-2024 2:03 PM
पोषड़पल्ली गांव की पहाड़ी में श्रीकृष्ण की बसी है आस्था

गुड़ीपड़वा पर भक्तों का लगता है तांता

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भोपालपटनम, 8 अप्रैल।
मुख्यालय से 8 किमी दूर पोषड़पल्ली गांव की पहाड़ी की गुफा में भगवान श्रीकृष्ण की आस्था बसी हुई है। बताया जाता है कि 1900 ईसवी में भगवान की कुछ चमत्कार देखने को मिली, तब से यहां दर्शन की भीड़ लगी रहती है।

पहाड़ी की गुफा के अंदर बसे भगवान के दर्शन करने गुफा के अंदर भक्त प्रवेश करते है उसके शुरुआती हिस्सा एवं निकलने का द्वारा छोटा है, घुटनों के बल होकर बाहर निकलना पड़ता है। इस गुफा में बसे श्रीकृष्ण के लोगों की आस्था बहुत है। गांव की समिति द्वारा मेले का आयोजन करवाया जाता है। इस साल 5 अप्रैल से मेले का आयोजन शुरू हुआ। शुक्रवार को मंडपाच्छादन कार्यक्रम, शनिवार को गोवर्धन पर्वत पूजा-अर्चना एवं रविवार को ध्वजारोहण किया गया। 

कृष्ण भगवान की पूजा-अर्चना मंदिर परिसर में सोमवार को दोपहर दो बजे राधा एवं कृष्ण का विवाह समारोह एवं क्षेत्रीय लोकनृत्य किया जाएगा। मंगलवार को भगवान की रथयात्रा एवं समापन तथा गुड़ीपड़वा नवरात्र प्रारंभ होगा। मेले का आयोजन हर साल किया जाता है। चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या के तीन दिन पूर्व से प्रारंभ होता है और चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा नवरात्रारंभ गुड़ीपड़वा के दिन समापन होता है। इस मेला को हिंदी वर्ष का अंतिम मेला और हिंदी नववर्ष आगमन मेला भी कहा जाता है। 

इस वर्ष इस मेले का आयोजन वनोपज समिति और आसपास के ग्राम पंचायत के लोगों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें ग्राम पंचायत बामनपुर, अर्जुनल्ली, रुद्रारम, गोरला, जिला वनोपज सहकारी समिति यूनियन बीजापुर, प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति चेरपल्ली, भद्रकाली, देपला, सकनापल्ली की मेले के आयोजन में सहयोग किया है। इस गुफा में बसे श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए छत्तीसगढ़ सहित महाराष्ट्र, तेलंगाना से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते है।

दर्शन के लिए हजारों भक्त पहंचते हैं
सकलनारायन गुफा में बसे श्रीकृष्ण के दर्शन करने हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। गुड़ीपड़वा हिन्दू नववर्ष के दिन भक्तों का तांता लग जाता है।

कृष्ण-राधा की रचाई जाती है शादी
मेले के इस कार्यक्रम में भगवान श्रीकृष्ण और राधा की शादी रचाई जाएगी इसके लिए कार्यक्रम तय किया गया है। शुक्रवार को मंडपाच्छादन, शनिवार को गोवर्धन पर्वत पूजा-अर्चना, रविवार को ध्वजारोहण व सोमवार को कृष्ण और राधा का विवाह समारोह का आयोजन होगा। इस कार्यक्रम में हजारों की तादाद में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।

हिंदू वर्ष का अंतिम और आगमन है यह मेला
इस मेले को हिंदू वर्ष का अंतिम और आगमन मेला कहा जाता हैं। हर साल यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते है, और नए साल के आगमन पर भगवान श्री कृष्ण से सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं। गोवर्धन पर्वत के दर्शन के लिए दर्शनार्थी दूर- दूर से आकर चिंतावागु नदी में स्नान कर गोवर्धन पर्वत पर चढऩा शुरू करते हैं। इस पर्वत की ऊंचाई लगभग 1 हजार मीटर है, पगडंडी रास्ता से 3 -4 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है।

गुफा के अंदर है मेकल दोड्डी
गुफा के अंदर जानवरों का तबेला जैसा बना हुआ है। इस कोठे को मेकल दोड्डी के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि इस दोड्डी में बकरियों को जंगल में चराकर इस जगह बांधा जाता था। काफी समय से यह मेकल दोड्डी के नाम से जाना जाने लगा।

चमगादड़ों के मल से होती है चमत्कार
इस गुफा में चमगादड़ों का डेरा बना हुआ है, चमगादड़ जो मल करते है उसे दर्शन करने गए भक्त उठाकर ले आते है। ग्रामीणों का मानना है कि यह खाद झाड़ फूंक के काम में आता है। इसे थोड़ा-थोड़ा कर ग्रामीण अपने साथ लेकर आते हंै।

पर्यटन का मिला दर्जा पर कोई व्यवस्था नहीं
सकलनारायण गुफा को पर्यटन का दर्जा देकर जिले की वेबसाइट पर चस्पा कर दिया गया है, मगर यह पर्यटकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। पर्यटन विभाग व स्थानीय प्रशासन इस स्थान को सवारने का काम नहीं किया गया है। सिर्फ पर्यटन का नाम देकर इसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया है, यह सालाना मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हंै।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news