गरियाबंद

कोई भी यज्ञ हवन बिना पत्नी के सफल नहीं - राधेश्याम
15-Dec-2022 7:37 PM
कोई भी यज्ञ हवन बिना पत्नी के सफल नहीं - राधेश्याम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

गरियाबंद, 15 दिसंबर। कलयुग में शिव पूजा से बड़ी कोई पूजा नहीं है, जिस घर में शिवलिंग की पूजा नहीं होती वहाँ कोई भी देवी-देवता प्रसन्न नहीं होते और उनके घर में प्रवेश नहीं करते, गन्धर्व हो, राक्षस हो, देवता हो, मनुष्य हो, चाहे साधु सन्त सन्यासी हो, चाहे गृहस्थ हो, सभी शिव पूजन करते हैं।

गरियाबंद में आयोजित  शिवमहापुराण के चौथे दिवस व्यासपीठ से महन्त श्री राधेश्याम व्यास ने कहा कि सनातन धर्म शास्त्रों में पाँच प्रकार के शिवलिंग बताए गए हैं जो धरती में प्रकट होता है उसे स्वयम्भू शिवलिंग, जो शिवलिंग तस्वीर में है उसे बिंदु शिवलिंग कहते है, जो छोटे-छोटे शिवलिंग एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जानेवाली शिवलिंग को चल शिवलिंग, किसी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुए शिवलिंग को प्रतिष्ठित शिवलिंग कहते हैं, और जिसे सद्गुरु बनाओ उसके दांए पांव के अंगूठे को गुरु शिवलिंग कहते हैं। शिवमहापुराण सुनने आए हजारों श्रोताओं को उन्होंने कहा कि शालिग्राम को स्नान किया हुआ जल को जलामृत कहते है,  दूध, दही, घी, शहद, शक्कर के स्नान को पंचामृत कहते हैं , लेकिन शिवलिंग पर चढ़े हुए जल को जलामृत कहा जाता है, और जिस घर में नियमित रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, भोग लगाकर कोई उसका पान करता है तो उस व्यक्ति का शरीर देवता जैसे हो जाता है।

समाज में फैले हुए भ्रांतियों को दूर करते हुए उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में स्त्रियाँ शिवलिंग को स्पर्श कर पूजन कर सकते हैं शास्त्र में प्रमाण है, सभी नारियां को शिवलिंग पूजन अवश्य कर सकते हैं। शिवलिंग पर अभिषेक कर सकते हैं।  भारत की नारी जिनके नाम के आगे धर्म शब्द लगकर धर्मपत्नी कहलाती है, कोई भी यज्ञ हवन बिना धर्म पत्नी के सफल नहीं होता प्रभु श्री राम जी को भी यज्ञ करने के लिए सोने की पत्नी सीता बनाना पड़ा था, भारत की नारियां, नारी न ही ये शक्ति होती है, जिस घर में नारी का अपमान होता है ।

वहां कभी बरकत नहीं होता हैं, और जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ सबकुछ निहाल और खुशहाल होता है, जिस घर में शिवलिंग की पूजा नहीं होगा, उस घर में कोई भी देवी-देवता प्रवेश नहीं करते।

साहू परिवार द्वारा आयोजित 9 दिवसीय शिवमहापुराण की कथा में चौथे दिन व्यासपीठ से श्री राधेश्याम जी व्यास ने कहा कि सच्चे सनातनी की कथा सुनने से  जरूर अच्छा रास्ता मिलता है, कथा का समापन 19 दिसम्बर दिन सोमवार को विशाल भण्डारे के साथ होगा।

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