कोण्डागांव

किसान अपने ही पैसे निकालने के लिए भटक रहे-लता उसेंडी
16-Feb-2023 9:13 PM
किसान अपने ही पैसे निकालने  के लिए भटक रहे-लता उसेंडी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंडागांव, 16 फरवरी।
पूर्व कैबिनेट मंत्री लता उसेंडी ने आज जिला सहकारी बेंक में स्वयं जाकर देखा और कहा कि कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम का गृह निवास में जिला सहकारी बैंक है, जहां पर किसानों को अपने बेचे हुए धान फसल का जो कि लगभग 2 महीने हो गए हैं किसान अपने ही पैसे को निकालने में पसीना बहा रहा है, जबकि कुछ दिनों पहले ही सभी बैंकों में राशि बढ़ाई गई थी, लेकिन इसके बाद भी आज किसानों को पैसा निकालने मे परेशानी हो रही है।

किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बड़े बड़े वादे किए थे कि किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन कभी बारदाने के लिए तो कभी खेत का रकबा कम करने कि हमेशा परेशानी होते रही और बारदाने का पैसा भी अब तक नहीं मिल पाया और जबसे हम लोग धान बेचा है, तब से अब तक हमारा ही बेचा हुवा धान का पैसा निकालने के लिए तारीख पे तारीख  दी जा रही है। किसानों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अपने ही पैसे के लिए जिला सहकारी बैंक में अपने पूरे समय घर का काम छोडक़र छोडक़र कोंडागांव आना पड़ता है, फिर भी हम लोगों को पैसा नहीं दिया जाता।

किसानों में बुजुर्ग महिला बुजुर्ग व्यक्ति ही ज्यादा नजऱ आ रहे हैं, जो कि कोंडागांव से 30 से 40 किलोमीटर दूरी से सुबह से ही पैसे लेने के लिए घर से भूखे प्यासे निकलते हैं ताकि नंबर जल्दी लग जाए फिर भी अपना ही पैसा नहीं मिलने से हताश निराश होकर लौट जाते हैं।

कई किसानों का कहना है कि पैसे के लिए हफ्ता में सोमवार और शनिवार का दिन दिया जाता है,  जिसमें पहले 30 हजार रु देंगे बोले थे लेकिन सिर्फ 10 हज़ार रू ही दिया जाता है, उसमें हमारा जो घर का खर्चा भी नहीं निकल पाता। घर में अगर कोई बीमार पड़ जाए या कोई मांगलिक काम हो जाये तो बैंक में आने से बोलने पर भी हमें हमारे पैसे के लिए देने के लिए मना कर दिया जाता है,  जिससे किसान को भारी मनमानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कोई भी इनके परेशानी को सुनने वाला नहीं है अपने ही पैसे के लिए किसान आंसू बहा रहा है।

किसान गंभीर पांडे का कहना हैं कि मुझे 30 जनवरी को 30 हज़ार देंगे कहे थे, लेकिन उस दिन मैं दिन भर बैंक में नंबर लगा रहा हूं, लेकिन 3 बजे के बाद पैसा खत्म हो गया कह दिया गया और आज जब मैं यहां आया तो 10 हज़ार रू ही देंगे कहा गया।

किसानों का कहना हैं कि अपने ही खाता का इंट्री भी नहीं किया जा रहा है कि खाते में कितना रूपये हैं जबकि किसान अपने ही खाते में इंट्री कराने के लिए कई हफ्तों से इंतजार कर रहा है।

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